गायत्री मणि
AAP’s Transgender Candidate: दिल्ली नगर निगम चुनाव (MCD Election) में पहली ट्रांसजेंडर उम्मीदवार बॉबी (Bobby) मैदान में है। आम आदमी पार्टी (AAP) ने उन्हें अपने टिकट पर मैदान में उतारा है। राजनीति में कदम रखने से पहले वह एक सोशल वर्कर थीं, लेकिन उनका बचपन बेहद संघर्ष भरा था। ट्रांसजेंडर होने की वजह से स्कूल और पड़ोस में उन्हें लोग चिढ़ाते थे और परेशान करते है। इस सब की वजह से ना सिर्फ उन्हें स्कूल बल्कि अपना घर भी छोड़ना पड़ा।
बॉबी जब तक यह समझ पातीं कि वह एक ट्रांसजेंडर हैं, तो लोगों ने उनके साथ अलग तरह से व्यवहार करना शुरू कर दिया। उन्हें परेशान किया और धमकाया जाने लगा। उनके बचपन की यादों में सिर्फ यही सब है। आज सुल्तानपुर माजरा के निवासियों में उनकी पहचान “बॉबी डार्लिंग” के रूप में है। उनकी जिंदगी में बदलाव तब आया जब एक ट्रांसजेंडर समुदाय के गुरु ने उनको गोद ले लिया। उस वक्त बॉबी की उम्र 14 या 15 साल थी।
जीवनभर किया अपमान का सम्मान
38 वर्षीय बॉबी ने बताया कि उन्हें जीवनभर अपमान का सामना करना पड़ा, लेकिन इसकी वजह से उन्होंने कभी सपने देखना नहीं छोड़ा। उन्हें उम्मीद थी कि ट्रांसजेंडर लोगों को एक दिन समाज में महत्व और सम्मान जरूर मिलेगा। बॉबी ने कहा,”मुझे पता है कि ट्रांसजेंडर और क्वीर लोगों को अभी भी नीची नजर से देखा जाता है और उन्हें समान अवसर नहीं मिलते हैं… बहुत कुछ करना है, लेकिन यह पहला कदम है।”
डांसर से सोशल वर्कर और राजनीति तक का सफर
बॉबी पहले एक डांसर थीं और शादियों एवं जन्मदिन जैसे आयोजनों में नाचती थीं। इसके बाद एक सामाजिक कार्यकर्ता बनीं और अब राजनीति में कदम रखा है। अपने इस सफर को याद करते हुए उन्होंने द इंडियन एक्सप्रेस को बताया कि उन्हें बचपन में स्कूल छोड़ना पड़ा था और उनके माता-पिता उनसे बेहद प्यार करते थे, लेकिन उन पर भी समाज का दबाव था। उन्होंने कहा, “जब मैं लगभग 14-15 वर्ष की थी, तो मुझे मेरे गुरु ने अपनाया। वह अब नहीं रहे। उन्होंने मुझे आश्रय और प्रेम दिया। वहां, मुझे मेरे जैसे लोग मिले और मुझे घर जैसा महसूस हुआ।” चुनाव मैदान में उतरने वाली बॉबी पहली ट्रांसजेंडर उम्मीदवार हैं। आप ने उन्हें एससी-10, 43 ए के तहत सुल्तानपुर माजरा विधानसभा से टिकट दिया है।
पिता चलाते थे ढाबा, आज भी परिवार से संपर्क में
जब वह 21 या 22 साल की थीं तो वह एक एनजीओं के साथ जुड़ गईं और पढ़ाई-लिखाई भी की। इसके बाद वह एक सामाजिक कार्यकर्ता बन गईं और वंचित बच्चों और ट्रांसजेंडर व्यक्तियों के लिए काम करने लगीं। बोबी ने बताया कि वह अभी भी अपने परिवार के साथ संपर्क में हैं। उन्होंने कहा, “हां, मेरी मां हमेशा मुझसे प्यार करती थीं और अब भी मुझसे प्यार करती हैं। मेरा एक छोटा भाई है जो निजी क्षेत्र में काम करता है। मेरे पिता एक छोटा ढाबा चलाते थे, जो अब नहीं रहे… मेरी मां ने हमें पालने के लिए बहुत काम किया है। मैं उनसे महीने में एक बार मिलती हूं और उनके साथ समय बिताती हूं… वह चुनाव (दिल्ली नगर निगम चुनाव) में मेरे लिए प्रचार भी करेंगी।’
उन्होंने बताया कि अन्ना आंदोलन के दौरान वह अरविंद केजरीवाल से मिली थीं और उनके विचारों से बेहद प्रभावित हुईं, तभी से वह आप से जुड़ी हैं। उन्होंने कहा, “मुझे उम्मीद है कि एक दिन, ट्रांसजेंडर व्यक्तियों के लिए नागरिक, विधानसभा और लोकसभा चुनावों और संसद में भी आरक्षण होगा। मैं माता-पिता से भी अनुरोध करती हूं कि वे अपने बच्चों के साथ समान व्यवहार करें। अगर मैं चुनाव लड़ सकती हूं, तो अन्य ट्रांसजेंडर व्यक्ति इंजीनियर और डॉक्टर बन सकते हैं अगर उनके माता-पिता उनके साथ खड़े हों।
बोबी ने कहा कि अगर वह चुनाव जीतती हैं, तो उनकी प्राथमिकता उचित स्वच्छता, क्षेत्र को कचरा मुक्त बनाना और खुले सीवरों की मरम्मत करना होगा। उन्होंने कहा कि उनके वार्ड में ट्रांसजेंडरों के लिए कोई सार्वजनिक शौचालय नहीं है। उनका एजेंडा ट्रांसजेंडर व्यक्तियों के लिए एक अलग शौचालय का निर्माण करना भी होगा।