Mayawati Politics: उत्तर प्रदेश की राजनीति पूर्व मुख्यमंत्री और बसपा प्रमुख मायावती लगातार एक्टिव हो गई हैं। उनकी हाल में एक बड़ी रैली हुई थी। इसके बाद पिछले दो रविवार से वो बड़ी बैठकें ले रही हैं। इस दौरान उनके भतीजे और पार्टी के नेशनल कॉर्डिनेटर आकाश आनंद भी मौजूद रहे। मीटिंग शुरू होने से पहले आकाश आनंद ने मायावती के पैर छुए थे। दूसरी ओर मायावती ने कॉर्डिनेटर्स से यह भी कहा है कि वे मेरी तरह ही आकाश का भी साथ दें।
मायावती ने बैठक में अपने कार्यकर्ताओं को संबोधित किया। उन्होंने कहा कि इस दौरान बसपा नेताओं को संबोधित करते हुए संगठन की एकजुटता पर बल दिया। उन्होंने कहा कि जैसे आपने मेरा साथ दिया है, वैसे ही मेरे भतीजे आकाश आनंद का भी साथ दीजिए। मायावती का यह बयान संकेत दे रहा है कि वे आकाश आनंद को बसपा में पूरी तरह से स्थापित कर रही है। बसपा की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की इस बैठक में मायावती के साथ उनके भतीजे आकाश आनंद, उनके पिता आनंद कुमार और वरिष्ठ नेता सतीश चंद्र मिश्रा भी थे।
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आकाश आनंद ने छुए थे मायावती के पैर
बता दें कि परंपरा की तरह ही इस बार भी मंच पर मायावती के लिए अकेली कुर्सी थी। बगल में तीन कुर्सियों पर आकाश आनंद, आनंद कुमार और सतीश चंद्र मिश्रा बैठे थे। एक वक्त ऐसा आया जिसने सभी को इमोशनल पल भी आया है, जब मायावती के मंच पर पहुंचने पर आकाश आनंद ने उनके पैर छूकर सम्मान व्यक्त किया था। यह बैठक बसपा के लिए हाल के दिनों में तीसरा बड़ा आयोजन था, इसे यूपी में पार्टी को फिर से संगठित करने के तौर पर देखा जा रहा है।
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कांशीराम की पुण्यतिथि पर लखनऊ किया था शक्ति प्रदर्शन
गौरतलब है कि 9 अक्टूबर को बसपा संस्थापक कांशीराम की पुण्यतिथि पर लखनऊ में शक्ति प्रदर्शन किया गया था। इसके बाद 16 अक्टूबर को यूपी और उत्तराखंड के करीब 500 नेताओं के साथ एक अन्य बैठक आयोजित की गई थी। पार्टी सूत्रों के मुताबिक, मायावती का फोकस अब 2027 के विधानसभा चुनावों की तैयारी पर है।
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इस बैठक में संगठन को जमीनी स्तर पर मजबूत करने, कार्यकर्ताओं में जोश भरने और नए नेतृत्व को आगे लाने की रणनीति पर चर्चा हुई। मायावती ने कोऑर्डिनेटरों को निर्देश दिए कि वे अपने-अपने क्षेत्रों में पार्टी की नीतियों और विचारधारा को जन-जन तक पहुंचाएं।
बसपा की यह सक्रियता राजनीतिक गलियारों में चर्चा का विषय बनी हुई है। पार्टी के इस जोरदार संगठनात्मक अभियान को उत्तर प्रदेश और देश के अन्य हिस्सों में अपनी सियासी जमीन मजबूत करने की कोशिश के रूप में देखा जा रहा है।
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