जिस ‘स्वाधीन भारत सुभाष सेना’ ने मथुरा के जवाहर बाग में आतंक मचाया, जिसकी वजह से पुलिस के दो अधिकारियों समेत 21 लोगों की जान चली गई उसके लोगों के बारे में एक बड़ा खुलासा हुआ है। नेताजी के नाम पर संगठन चलाने वाले ये लोग असल में यूपी के एक धर्मगरु के अनुयायी थे। जय गुरुदेव नाम के इस धर्मगुरु की मौत 2012 में हो गई थी। उस वक्त उसकी उम्र 116 साल बताई जा रही थी। जय गुरुदेव कोई छोटा-मोटा धर्मगुरु नहीं बल्कि 4 हजार करोड़ का मालिक था। इसके अनुयायी जय गुरुदेव को नेताजी सुभाषचंद्र बोस मानते थे।
जय गुरुदेव का असली नाम तुलसीदास महाराज था। वह जाति से यादव था। मथुरा में उसके नाम पर एक स्कूल और पेट्रोल पंप भी है जिसे उसके नाम पर बना ट्रस्ट चलाता है। यही नहीं उसके नाम पर मथुरा में एक मंदिर भी बना हुआ और उसके दर्जनों आश्रम और प्रोपर्टी भी मौजूद हैं।
जय गुरुदेव के हजारों समर्थकों में कई आरोपी और राजनेता शामिल हैं। यही लोग नेताजी के सच्चे भक्त होने का दावा करके यह संगठन चला रहे हैं। इन लोगों की तरफ से 2006 में दावा किया गया था कि नेताजी 109 साल की उम्र में ही जिंदा हैं और यूपी के सीतापुर जिले में उन लोगों से मिले थे। इस संगठन ने एक बार यह कहकर भी सनसनी मचा दी थी कि भारत की मुद्रा इतनी शक्तिशाली है कि उससे 1 रुपए में 972mg सोना और 10 लीटर डीजल खरीदा जा सकता है। इसके बाद ही ये लोग 2014 में अपनी इन्हीं बेतुकी बातों को लेकर अनशन पर बैठे और फिर जवाहर बाग पर कब्जा कर लिया।
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उपद्रवियों का नारा है, ‘आजाद हिंद बैंक करेंसी से लेन-देन करना होगा, नहीं तो भारत छोड़ना होगा।’ इन लोगों का मुखिया रामवृक्ष यादव नाम के शख्स को बताया जा रहा है। रामवृक्ष यादव बाबा जयगुरुदेव का शिष्य रह चुका है। जयगुरुदेव की मृत्यु के बाद इन लोगों ने उनके उत्तराधिकारी बनने का दावा किया। जब इन्हें यह अधिकार नहीं मिला तो इन्होंने अलग से गुट बना लिया।
इनके फेसबुक पेज पर लिखा है, ‘हम नेताजी सुभाष चंद्र बोस के सच्चे अनुयायी हैं। हम सभी सरकारी संस्थाओं, यहां तक कि न्यायपालिका, विधायिका और कार्यपालिका से सत्यापित दस्तावेजों और सूचना जारी करने की मांग करते हैं। हम देश के शासकों से संबंधित सारे रिकॉर्ड को सार्वजनिक किए जाने की मांग करते हैं’