High Court On Arya Samaj Marriage Certificate: इलाहाबाद हाईकोर्ट (Allahabad High Court) ने गुरुवार (24 नवंबर)को जारी किए गए एक आदेश में कहा है कि विवाह पंजीकरण (Marriage Registration) को वैध विवाह का प्रमाणपत्र (Valid Mariage Certificate) नहीं माना जाएगा। इसे महज साक्ष्य (Evedence) के तौर पर इस्तेमाल किया जा सकता है। इलाहाबाद हाईकोर्ट (Allahabad High Court) ने ये आदेश केवल इसे साक्ष्य के रूप में इस्तेमाल किया जा सकता है। यह आदेश हाई कोर्ट आशीष मौर्य (Aashish Maurya) की अपील पर दिया है। कोर्ट ने यह भी कहा है कि आर्य समाज द्वारा जारी विवाह प्रमाणपत्र का कोई वैधानिक प्रभाव नहीं है।
सहारनपुर अदालत (Saharanpur Court) के आदेश को चुनौती
आशीष मौर्या की तरफ से दायर पहली अपील पर विचार जस्टिस सूर्य प्रकाश केसरवानी और जस्टिस राजेंद्र कुमार-चतुर्थ की खंडपीठ ने ये टिप्पणी की। इसमें चीफ जस्टिस, परिवार न्यायालय, सहारनपुर कोर्ट के एक आदेश को चुनौती दी गई थी, जिसमें सहारनपुर अदालत ने धारा 9 के हिंदू विवाह अधिनियम, 1955 तहत दायर उनके आवेदन को खारिज कर दिया गया था।
परंपरागत तरीके से दोनों पक्षों की सहमति से समारोह में हुई हो Marriage
हाई कोर्ट ने कहा कि शादी परंपरागत तरीके से दोनों पक्षों की सहमति से समारोह में होनी चाहिए, जिसमें सप्तपदी की रस्म पूरी हुई हो। जब शादी ही वैध नहीं तो हिंदू विवाह अधिनियम की धारा 9 के तहत विवाह पुनस्र्थापन की अर्जी परिवार अदालत द्वारा स्वीकार न करना कानूनन सही है। शादी के वैध सबूत के बगैर धारा 9 की अर्जी मंजूर नहीं की जा सकती।
Court ने कहा आर्य समाज से विवाह प्रमाण पत्र लिया है शादी झूठी है
अदालत ने परिवार अदालत सहारनपुर के धारा 9 की अर्जी खारिज करने के फैसले के खिलाफ प्रथम अपील खारिज कर दी। याचिकाकर्ता ने कहा था कि वादी वादी उसकी पत्नी है। विवाह पुनर्स्थापित करने के लिए परिवार अदालत में अर्जी दी, बाद में समझौते के आधार पर वो अर्जी परिवार ने वापस ले ली। कुछ दिन बाद दोबारा अर्जी दाखिल की तो कथित पत्नी ने शादी होने से इन्कार कर दिया। कहा, झूठी शादी की गई है और उसे ब्लैकमेल करने के लिए आर्य समाज से विवाह प्रमाणपत्र लिया गया है।
कोर्ट (Court) ने शादी के इस तथ्य को स्वीकार नहीं किया
हालांकि, कोर्ट (Court) ने शादी के तथ्य को स्वीकार करने से इनकार कर दिया क्योंकि याचिकाकर्ता अदालत के सामने सबूत पेश करने में असफल रही। कोर्ट ने कहा, आर्य समाज को विवाह प्रमाण पत्र जारी करने में सक्षम बनाने वाले किसी भी वैधानिक प्रावधान को अदालत (Court) में पेश करें। इसके बाद वादी-याचिकाकर्ता के वकील भी आर्य समाज (Arya Samaj) को विवाह प्रमाण पत्र जारी किया लेकिन हाई कोर्ट ने इसे मानने से इनकार कर दिया।
High Court ने बताई वजह, कहा- शादी हुए बिना भी दाखिल कर सकते हैं अर्जी
इस पूरे प्रकरण में सहारनपुर के थाना सदर बाजार में एफआईआर दर्ज की गई थी,पुलिस ने इस मामले की चार्जशीट भी दाखिल कर दी। कोर्ट ने कहा सिविल प्रक्रिया संहिता के आदेश 11 नियम 2 के तहत बिना शादी हुए भी पुनर्स्थापन अर्जी दाखिल की जा सकती है। ऐसी अर्जी प्रतिबंधित मानने के परिवार अदालत के फैसले को हाईकोर्ट ने सही माना। इस वजह से हाईकोर्ट ने अपना फैसला सुनाते हुए कहा, आर्य समाज का शादी प्रमाणपत्र शादी की वैधता का प्रमाण नहीं है।