Manoj Jarange Maratha Mission:मराठा आरक्षण की मांग को लेकर एक बार फिर महाराष्ट्र में सियासी हलचल तेज होने जा रही है। आंदोलन के प्रमुख चेहरे मनोज जरांगे पाटील ने ऐलान किया है कि वे 29 अगस्त को मुंबई के मंत्रालय तक विशाल मार्च निकालेंगे। उनका साफ कहना है कि जब तक मराठा समुदाय को ओबीसी श्रेणी में आरक्षण और ‘सगे-संबंधी प्रमाणपत्र’ के आधार पर सरकारी लाभ नहीं मिलता, वे पीछे नहीं हटेंगे। जरांगे ने मराठवाड़ा के धारसूर गांव में आयोजित सभा में लोगों से अपील की कि वे दो दिन के लिए मुंबई आएं और तीसरे दिन आरक्षण की जीत का जश्न मनाएं।

जरांगे पाटील ने दावा किया है कि इस बार का आंदोलन पहले से भी बड़ा और निर्णायक होगा। उन्होंने कहा है कि तीन से चार करोड़ मराठा समाज के लोग इस आंदोलन में भाग लेंगे। यह संख्या भले ही अतिरंजित लगती हो, लेकिन जरांगे का यह दावा राज्य सरकार के लिए एक बड़ा अलार्म है। उनका कहना है कि ये सिर्फ विरोध नहीं बल्कि मराठा समाज की ताकत का ऐतिहासिक प्रदर्शन होगा। वे इस मार्च को शांतिपूर्ण और अनुशासित रखने की बात कर रहे हैं, लेकिन इतनी बड़ी भीड़ को संभालना प्रशासन के लिए एक बड़ी चुनौती बन सकता है।

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यह मार्च 27 अगस्त को बीड जिले के अंतरवाली सरती गांव से शुरू होगा। इसके बाद यह मार्च पैठण, शेवगांव, अहिल्यानगर, मालशेज घाट, कल्याण, वाशी और चेंबूर जैसे शहरों से होते हुए मुंबई के मंत्रालय तक पहुंचेगा। जरांगे ने वैकल्पिक मार्ग भी तैयार किया है, जिसमें नासिक, गंगापुर और वैजापुर शामिल हैं। आंदोलन की तैयारी को लेकर जरांगे खुद मराठवाड़ा के अलग-अलग इलाकों में सभाएं कर रहे हैं और लोगों को जोड़ने की मुहिम में लगे हैं।

जरांगे पाटील का आंदोलन महाराष्ट्र सरकार के लिए कई वजहों से चिंता का कारण बन सकता है। पहला, चुनावी साल में मराठा समुदाय की नाराजगी बीजेपी-शिवसेना गठबंधन को भारी पड़ सकती है। दूसरा, पिछली बार के आंदोलन में जरांगे की भूख हड़ताल और लाखों की भीड़ से सरकार को बैकफुट पर आना पड़ा था। तीसरा, अगर इस बार भी सरकार मांगें नहीं मानती, तो आंदोलन लंबा और उग्र हो सकता है। यानी जरांगे न सिर्फ आरक्षण की मांग को फिर से चर्चा में ला रहे हैं, बल्कि सरकार को सीधी चुनौती भी दे रहे हैं।