मध्य प्रदेश मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को भारतीय जनता पार्टी के संसदीय बोर्ड से हटाए जाने के बाद से तमाम तरह की चर्चाएं हैं। इसे इस बात का संकेत माना जा रहा है कि चौहान निकट भविष्य के लिए राज्य तक ही सीमित रहेंगे। पार्टी नेतृत्व के इस फैसले के बाद से राज्य में कई घटनाक्रम देखने को मिले हैं। हाल के दिनों में कई मंत्रियों ने राज्य प्रशासन के कामकाज को लेकर नाराजगी जताई है।
पंचायत और ग्रामीण विकास मंत्री महेंद्र सिंह सिसोदिया हालही में शिवराज सरकार के अधिकारियों पर नाराजगी जाहिर करते नजर आए थे। 29 अगस्त को उन्होंने उनकी अनुमति के बिना पुलिस इंस्पेक्टरों के ट्रांसफर को लेकर एसपी राजेश सिंह चंदेल के खिलाफ कार्रवाई की मांग की थी। उन्होंने राज्य में अनियंत्रित नौकरशाही के लिए चीफ सेक्रेटरी इकबाल सिंह बैंस को जिम्मेदार ठहराया था।
राज्य में सार्वजनिक स्वास्थ्य और इंजीनियरिंग मंत्री बृजेंद्र सिंह यादव ने भी प्रशासन के खिलाफ मोर्चा खोली था उन्होंने हाल ही में राज्य सहकारी समिति आयुक्त को पत्र भेजकर अशोक नगर जिला कलेक्टर के खिलाफ “नियुक्तियों में अनियमितताओं” की जांच की मांग की थी। जिन दोनों मंत्रियों ने अधिकारियों पर अनियमितताओं का आरोप लगाया है, उन्हें सिंधिया के वफादार माना जाता है।
उधर, महिला एवं बाल विकास विभाग में धोखाधड़ी का मामला भी उजागर हुआ। सामान्य ऑडिट रिपोर्ट के लीक होने के कारण यह जानकारी सामने आई। यह विभाग सीधे सीएम की निगरानी में है।
शिवराज का कद घटने के बाद मप्र की राजनीति में कई ऐसी घटनाएं देखने को मिलीं जो अप्रत्याशित हैं। ज्योतिरादित्य और कैलाश विजवर्गीय कभी एक दूसरे के कट्टर दुश्मन माने जाते थे लेकिन पिछले कुछ समय से दोनों एक दूसरे के काफी नजदीक हैं। मप्र क्रिकेट एसोसिएशन की बैठक में सिंधिया जिस गर्म जोशी से विजय वर्गीय से मिलने पहुंचे वो बात काफी कुछ इशारा कर रही थी।
वहीं, संसदीय बोर्ड से हटाए जाने के बाद पत्रकारों से बात करते हुए शिवराज ने कहा, “मुझे इस बात की बिल्कुल भी परवाह नहीं है कि मैं योग्य हूं (और इसलिए बोर्ड में शामिल होना चाहिए)। अगर पार्टी मुझे कालीन बिछाने का काम देती है, तो मैं राष्ट्रहित में वह भी करूंगा। अगर जैत (उनके गृह गांव) में रहने के लिए कहा गया तो मैं ऐसा भी करूंगा। और अगर पार्टी मुझे भोपाल में रहने के लिए कहती है, तो मैं निर्देशों का पालन करूंगा। राजनीति में कोई व्यक्तिगत महत्वाकांक्षा नहीं होनी चाहिए।”
वहीं, पार्टी नेताओं का कहना है कि शिवराज को शीर्ष नेतृत्व का पूर्ण समर्थन प्राप्त है और 2023 में विधानसभा चुनावों में मुख्यमंत्री का चेहरा होंगे।