मणिपुर में दो समुदायों के बीच संघर्ष ने हिंसा का रूप ले लिया है। वहीं हिंसा को काबू में करने के लिए राज्य में कानून व्यवस्था को बनाए रखने के लिए देखते ही गोली मारने (shoot-at-sight order) के आदेश दे दिए हैं। मणिपुर के राज्यपाल (Manipur Governor) ने गुरुवार को राज्य के गृह विभाग के देखते ही गोली मारने के आदेश को मंजूरी दे दी है।

देखते ही गोली मारने का आदेश

मणिपुर के राज्यपाल ने सभी जिलाधिकारियों, उप-विभागीय मजिस्ट्रेटों और सभी संबंधित कार्यकारी मजिस्ट्रेटों/विशेष कार्यकारी मजिस्ट्रेटों को “अत्यधिक मामलों में देखते ही गोली मारने के आदेश जारी करने के लिए अधिकृत किया है। इसमें कानून के प्रावधानों के तहत अनुनय, चेतावनी, उचित बल आदि के रूप समाप्त हो गए। सीआरपीसी 1973 के तहत और स्थिति को नियंत्रित नहीं किया जा सकता है।

मणिपुर में स्थिति बिगड़ने पर सेना और असम राइफल्स के 55 कॉलम तैनात किए गए हैं। जबकि 14 कॉलम स्टैंडबाय पर रखे गए हैं। एक रक्षा प्रवक्ता ने गुरुवार को बताया कि सुरक्षा बलों ने हिंसा प्रभावित इलाकों से अब तक 9,000 लोगों को बचाया है और उन्हें सुरक्षित ठिकाने पर आश्रय दिया गया है। उन्होंने कहा कि और लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया जा रहा है।

ऑल ट्राइबल स्टूडेंट यूनियन मणिपुर (ATSUM) द्वारा बुलाया गया ‘आदिवासी एकजुटता मार्च’ के दौरान चुराचांदपुर जिले के तोरबंग इलाके में बुधवार को हिंसा भड़क गई। इस रैली में हजारों आंदोलनकारियों ने हिस्सा लिया था। इसी दौरान आदिवासियों और गैर-आदिवासियों के बीच झड़पें शुरू हुईं।

मणिपुर में अभी स्थिति तनावपूर्ण है और पूरे मणिपुर में 5 दिनों के लिए इंटरनेट को बंद कर दिया गया है। मणिपुर के कई जिलों में कर्फ्यू लगा हुआ है और हिंसाग्रस्त इलाकों में सेना फ्लैग मार्च कर रही है। हेलिकॉप्टर और ड्रोन के जरिए भी निगरानी की जा रही है। सेना और असम राइफल्स हिंसाग्रस्त इलाकों में तैनात हैं।

क्या है हिंसा की वजह?

ऑल ट्राइबल स्टूडेंट्स यूनियन ऑफ मणिपुर का मार्च मैतेई समुदाय को एसटी श्रेणी में शामिल करने की लंबे समय से चली आ रही मांग के विरोध में था। कई आदिवासी समूह इसके विरोध में हैं।