उत्तर पूर्वी राज्य मणिपुर में आज राज्यसभा चुनाव के दौरान अजीब वाक्या देखने को मिला। दरअसल बीते दिनों 7 कांग्रेसी विधायकों ने बगावत कर दी थी। आज राज्यसभा चुनाव के लिए मतदान के दौरान जब इन सात बागी विधायकों में 3 भाजपा समर्थकों ने वोट डाला तो उन्हें नहीं रोका गया लेकिन जब बाकी के चार बागी विधायकों ने वापस कांग्रेस में लौटने के संकेत दिए तो स्पीकर ने उन्हें वोट डालने से रोक दिया।पत्रकार राजदीप सरदेसाई ने ट्वीट कर यह जानकारी दी है।

बता दें कि मणिपुर में एन.बीरेन सिंह की सरकार पर संकट के बादल छाए हुए हैं। हाल ही में इस्तीफा देने वाले भाजपा विधायकों ने राज्यसभा चुनाव में अपने मताधिकार का प्रयोग नहीं किया। सरकार से अपना समर्थन वापस लेने वाली एनपीपी के चार मंत्रियों ने अपने मताधिकार का प्रयोग किया।। एआईटीसी के एकमात्र विधायक ने भी वोटिंग में भाग नहीं लिया।

मणिपुर में एन बीरेन सिंह के नेतृत्व वाली भाजपा सरकार अल्पमत में आ गई है। दरअसल 60 विधानसभा सीटों वाले मणिपुर में भाजपा ने साल 2017 में अपनी सरकार बनायी थी। इस दौरान 8 कांग्रेसी विधायकों ने भाजपा सरकार का समर्थन किया था। लेकिन मणिपुर हाईकोर्ट ने अपने एक फैसले में स्पीकर द्वारा इन बागी विधायकों पर कोई फैसला लिए जाने तक सात विधायकों के विधानसभा परिसर में घुसने पर रोक लगा दी है। वहीं एक विधायक पहले ही डिस्क्वालिफाई हो चुका है।

हाल ही में तीन भाजपा विधायकों ने भी सरकार से इस्तीफा दे दिया है। जिसके बाद राज्य विधानसभा सीटों की संख्या घटकर 49 रह गई है। ऐसे में बहुमत के लिए 25 सीटें चाहिए। भाजपा सरकार के पास जहां 23 विधायकों का समर्थन है, वहीं कांग्रेस के पास 26 विधायक हैं। यही वजह है कि कांग्रेस ने भाजपा सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पेश किया है।

भाजपा सरकार की सहयोगी पार्टी कोनराड संगमा के नेतृत्व वाली नेशनल पीपल्स पार्टी ने भी समर्थन वापस ले लिया है और कांग्रेस के साथ गठबंधन कर लिया है। दोनों पार्टियों के गठबंधन को सेक्यूलर प्रोग्रेसिव फ्रंट कहा जा रहा है। इस फ्रंट को टीएमसी के एक और एक निर्दलीय विधायक ने भी समर्थन देने का ऐलान किया है। ऐसे में उत्तर पूर्वी राज्य मणिपुर में भाजपा का किला ढहता नजर आ रहा है।