इस बार पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव में ममता बनर्जी ने अपनी पारंपरिक सीट भवानीपुर को छोड़कर नंदीग्राम से चुनाव लड़ने का फैसला किया था। टीएमसी से भाजपा में शामिल हुए शुभेंदु अधिकारी ने उन्हें हरा दिया। अब सूत्रों का कहना है कि ममता अपनी पारंपरिक सीट भवानीपुर से उपचुनाव लड़ेगी। जानकारी के मुताबिक जल्द ही यहां से विधायक शोभनदेव चट्टोपाध्याय इस्तीफा दे देंगे। सूत्रों का कहना है कि शोभनदेव को राज्यसभा भेजा जाएगा।
चट्टोपाध्याय से संपर्क किया गया तो उन्होंने कहा कि यह पार्टी का निर्णय है और वह इसका पालन करेंगे। कृषि मंत्री चट्टोपाध्याय ने ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा, ”मैं आज भवानीपुर सीट से विधायक के तौर पर इस्तीफा देने जा रहा हूं। यह मेरा और पार्टी का निर्णय है। मैं प्रसन्नतापूर्वक इसका पालन कर रहा हूं। ” सूत्रों ने कहा कि 70 वर्षीय चट्टोपाध्याय खरदाह सीट से किस्मत आजमा सकते हैं, जहां पार्टी विधायक काजल सिन्हा के निधन के बाद उपचुनाव की जरूरत पड़ी है।
बता दें कि नंदीग्राम सीट पर शुभेंदु अधिकारी ने साल 2016 में भी लेफ्ट के उम्मीदवार को बड़े अंतर से हराया था। अपनी जीत बरकरार रखते हुए इस बार उन्होंने ममता बनर्जी को मात दे दी। उधार ममता बनर्जी लंबे समय से भवानीपुर सीट से चुनाव लड़ती रही हैं। यह उनका गृह क्षेत्र है। वह भवानीपुर में अपना वोट भी डालती हैं औऱ उनका घर भी वहीं है।
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जानकारी के मुताबिक इस बार ममता बनर्जी को लगा था कि इस सीट पर उनका जनाधार कम हो रहा है। 2011, 2014, 2016 और 2019 के आंकड़ों के मुताबिक उनका वोटर बेस कम हो रहा था। जब पहली बार बंगाल में टीएमसी की सरकार बनी तब भी ममता बनर्जी चुनाव नहीं लड़ी थीं लेकिन उन्हें मुख्यमंत्री बनाने के लिए एक सीट की दरकार थी। लंबे समय के बाद बंगाल में लेफ्ट की हार हुई थी। ममता बनर्जी की काफी लोकप्रियता भी थी। इसलिए उन्होंने भवानीपुर सीट को चुना। उन्होंने इस सीट से जीत हासिल की औऱ विधानसभा पहुंच गईं।
2014 के चुनाव में भवानीपुर सीट पर भाजपा को अच्छे वोट मिले। साल 2016 में ममता बनर्जी फिर भवानीपुर सीट से मैदान में उतरीं। भाजपा ने नेताजी सुभाषचंद्र बोस के रिश्तेदार चंद्र कुमार बोस को उनके खिलाफ उतारा। ममता बनर्जी ने उन्हें हरा दिया लेकिन इस बार जीत का अंतर कम हो गया।
बता दें कि भवानीपुर सीट पर 60 फीसदी से ज्यादा गैरबंगाली हिंदू वोटर हैं। यहां गुजरात और मारवाड़ के बिजनसमैन भी बड़ी संख्या मे रहते हैं। हालांकि इस बार भी टीएमसी के उम्मीदवार शोभनदेव चटर्जी ने जीत हासिल की। इससे पहले वह रासबिहारी सीट से लड़ा करते थे। नंदीग्राम में हार के बाद ममता बनर्जी को विधानसभा पहु्ंचने के लिए एक सीट की जरूरत है। ऐसे में शोभनदेव को ही इस्तीफा देना पड़ सकता है।