Rajasthan Congress: राजस्थान में विधायक वेदप्रकाश सोलंकी के बयान पर प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा ने निशाना साधा है। जयपुर में मीडिया से बात करते हुए डोटासरा ने कहा कि मैंने उनका बयान नहीं सुना है। पर मैं एक बात साफ करना चाहता हूं जो भी कांग्रेस पार्टी के सिंबल पर जीत कर आया है। वो कितना भी बड़ा जनप्रतिनिधि और कितना भी बड़ा लाट साहब हो, सबके लिए पार्टी का अनुशासन बनाए रखना जरूरी है। उन्होंने कहा कि चाहे मैं हूं या गहलोत या कोई और पार्टी के खिलाफ जो भी जाएगा उसे सजा मिलेगी।
पीसीसी चीफ गोविंद सिंह डोटासरा ने विधायक पर अप्रत्यक्ष रूप से कटाक्ष करते हुए कहा कि पार्टी को नुकसान पहुंचाने वालों को दंडित किया जाएगा। उन्होंने कहा कि जो अनुशासन बनाकर नहीं रखता है तो यह मानकर चलना चाहिए कि वो पार्टी के साथ अच्छा नहीं कर रहा है। पार्टी उस बात को नोट करती है समय आने पर पार्टी के लिए जो अच्छा काम करता उसको इनाम मिलेगा और जो पार्टी का नुकसान करेगा। उसको सजा मिलेगी। ऐसा हमेशा से होता आया है और आगे भी होता रहेगा।
पार्टी के नहीं पायलट के समर्थक: गौरतलब है कि पायलट समर्थक माने जाने वाले विधायक वेदप्रकाश सोलंकी ने कहा कि था कि वह किसी पार्टी के समर्थक नहीं हैं बल्कि सचिन पायलट के समर्थक हैं। उन्होंने गुर्जर समाज को पायलट के पक्ष में एकजुट होने की अपील भी की थी। इस बयान के बाद कांग्रेस में सियासी घमासान तेज हो गया है।
मंगलवार को गुर्जर समुदाय की एक सभा को संबोधित करते हुए विधायक चाकसू वेद प्रकाश सोलंकी ने कहा कि टॉप पर बैठा आदमी वह नहीं देख रहा है जो युवा देखना चाहता है। सोलंकी ने कहा कि जैसे-जैसे चुनाव नजदीक आएंगे, हर कोई ये कहेगा। मुख्यमंत्री के रूप में वह किसे चाहते हैं, इस बारे में बात करते हुए सोलंकी ने कहा, “मैं किसी पार्टी के साथ नहीं हूं, मैं बार-बार यही कह रहा हूं कि मैं सचिन पायलट जी के साथ हूं।”
पायलट समर्थकों को सीएम पद की उम्मीद: पायलट के समर्थक उम्मीद कर रहे हैं कि आगामी पार्टी चुनावों में अशोक गहलोत को कांग्रेस अध्यक्ष के पद पर पदोन्नत करने पर 44 वर्षीय सचिन पायलट को राजस्थान के मुख्यमंत्री के रूप में मौका मिल सकता है। वहीं, गोविंद डोटासरा को जुलाई 2020 में राजस्थान कांग्रेस का अध्यक्ष बनाया गया था। जब तत्कालीन राज्य कांग्रेस प्रमुख और उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट को मुख्यमंत्री गहलोत के खिलाफ उनके असफल विद्रोह के चलते पद से हटा दिया गया था।