30 जनवरी 1948 को शाम करीब सवा पांच बजे महात्मा गांधी प्रार्थना के लिए जा रहे थे उस ही वक्त रास्ते में उनके सामने आया नाथूराम गोडसे और बापू को नमस्ते कहा और उसके बाद उन्हें गोली मार दी। बता दें कि 30 जनवरी से पहले भी बापू को मारने की कोशिश की गई थी। ये घटना थी बापू को गोली मारने के दस दिन पहले की जब शाम को प्रार्थना कर रहे बापू पर बम फेंका गया था।

कब हुआ था बम से हमला: आज महात्मा गांधी जी की 71वीं पुण्यतिथि है। ऐसे में आपको बताते हैं एक किस्सा जब बापू पर बम से हमला हुआ था। दरअसल दैनिक भास्कर की रिपोर्ट के मुताबिक 20 जनवरी 1948 को बिड़ला हाउस में प्रार्थना कर रहे थे। उस वक्त उन पर मदनलाल द्वारा बम फेंका गया था। हालांकि बम फेंक कर भाग रहे मदनलाल को बिलासपुर के रामचंद्र दुआ ने पकड़ लिया था। बता दें कि शौर्य प्रदर्शन के लिए देश के पहले राष्ट्रपति डॉ. राजेन्द्र प्रसाद ने उन्हें 1953 में कीर्ति चक्र से भी सम्मानित किया था।

रामचंद्र दुआ ने दिया था वीरता का परिचय : 20 जनवरी 1948 को हर शाम की ही तरह दिल्ली के बिड़ला हाउस में बापू प्रार्थना सभा के साथ ही जनता को संबोधित कर रहे थे। इस दौरान वहां किसी ने मंच पर बापू की तरह ग्रेनेड फेंका। इस हमले में बापू तो बच गए लेकिन उनके पास की ही दीवार टूट गई। इस हमले से वहां भगदड़ मच गई और सभी इधर उधर भागने लगे। इस बीच जानकारी मिलते ही दुआ बम फेंकने वाले के पीछे भाग और उसे पकड़ लिया। वहीं पुलिस के आने तक उन्होंने उसे पकड़ कर रखा। वहीं पूछताछ में आरोपी शख्स ने अपना नाम मदनलाल बताया। इसके साथ ही मदनलाल ने ये भी बताया कि घटना के दौरान वहां पर नाथूराम गोडसे और विनायक गोडसे भी मौजूद थे। इस पूरे वारदात पर बिलासपुर में रहने वाले राम चंद्र दुआ के भांजे का कहना है कि उन्होंने उस शाम वीरता का परिचय दिया था।

सावधानी बरतने से बच सकते थे बापू: 30 जनवरी 1948 की घटना पर रामचंद्र दुआ के बेटे कमल दुआ कहते हैं कि अगर उस शाम थोड़ी सी सावधानी बरती जाती और बापू अपनी सुरक्षा को लेकर संजीदा रहते तो उस घटना को टाला जा सकता था। वहीं कीर्ति चक्र पर कमल कहते हैं कि 19 जनवरी 1952 को राजपत्र में उनके पिता को बापू पर बम फेंकने वाले को पकड़ने का शौर्य दिखाने के कारण कीर्ति चक्र से सम्मानित करने की सूचना छपी थी। जिसके बाद 15 अगस्त 1953 को देश के प्रथम राष्ट्रपति डॉ राजेन्द्र प्रसाद ने कीर्ति चक्र से रामचंद्र दुआ को सम्मानित किया था।

महात्मा गांधी की सहयोगी मनुबेन ने किया घटना का जिक्र: बापू की सहयोगी रहीं मनुबेन ने अपनी किताब अंतिम झांकी में 20 जनवरी 1948 की घटना का जिक्र करते हुए लिखा था कि शाम का समय था। बापू की प्रार्थना के बाद प्रवचन के वक्त एक जोरदार धमाका हुआ। सभी लोग इधर उधर भागने लगे। मैं (मनुबेन)उस वक्त बापू के पास ही थी। मैंने बापू के पैर पकड़ लिए तब उन्होंने कहा कि डर क्यों रही हो। सैनिक गोलीबारी की तालीम ले रहे होंगे, इतना कहते हुए बापू ने प्रवचन जारी रखा। हालांकि कुछ वक्त बाद पता लगा कि बम बापू पर ही फेंका गया था और बम फेंकने वाले को पकड़ लिया गया।