बॉलीवुड एक्टर संजय दत्त के लिए मुश्किलें एक बार फिर बढ़ सकती हैं। बॉम्बे हाई कोर्ट ने संजय दत्त को दी गई पैरोल पर सवाल खड़े किए हैं। इसपर महाराष्ट्र सरकार ने गुरुवार को बॉम्बे हाई कोर्ट में कहा है कि अगर संजय दत्त को पैरोल और फरलो दिए जाने से नियमों का उल्लंघन हुआ तो उन्हें जेल वापस भेजे जाने में सरकार को कोई आपत्ति नहीं है। महाराष्ट्र हाई कोर्ट ने सरकार से ताजा हलफनामा दाखिल करने के निर्देश देते हुए पूछा है कि सरकार अच्छे व्यवहार का मापदंड भी बताए जिसके आधार पर संजय दत्त की सजा कम की गई थी।
पिछले महीने बंबई उच्च न्यायालय ने महाराष्ट्र सरकार से संजय दत्त को 1993 सीरियल ब्लास्ट मामले में संजय दत्त को रिहा करने के अपने फैसले पर सफाई देते हुए हलफनामा दाखिल करे। बता दें कि मुंबई में 1993 में हुए श्रृंखलाबद्ध बम विस्फोटों में 257 लोगों की जान गई थी। संजय दत्त को मुंबई में मार्च 1993 में हुए सिलसिलेवार बम विस्फोट मामले से जुड़े हथियार रखने के दोष में मुंबई की टाडा अदालत ने छह साल जेल की सजा तथा 25,000 रुपये जुर्माने की सजा सुनाई थी। संजय दत्त ने अपनी पूरी सजा पुणे के यरवदा जेल में भुगती।
लेकिन अपनी सजा के दौरान संजय दत्त कई बार जेल से बाहर आए। पैरोल और फरलो के चलते वह 100 से ज्यादा दिन जेल से बाहर रहे।जिसके बाद कई सवाल उठते हैं कि क्या उन्हें ये सुविधा उनके वीआईपी स्टेटस की वजह से मिली थी। अच्छे आचरण के नाम पर आठ महीने की रियायत देते हुए उन्हें 25 फरवरी, 2016 को रिहा कर दिया गया था। यह फैसला पुणे के सामाजिक कार्यकर्ता प्रदीप भालेकर की जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए दिया गया। याचिका में भालेकर ने सजा भुगतने के दौरान संजय दत्त को कई बार मिले फरलो तथा पैरोल को चुनौती दी है।