शनिवार (26 नवंबर) को महाराष्ट्र के सीएम देवेंद्र फड़नवीस ने कहा कि दुनिया में नए तरह के खतरों के सामने आने के मुद्देनजर उच्च-तकनीकी आधारित सुरक्षा और निगरानी व्यवस्था की सख्त जरूरत है। सीएम फड़नवीस इंडियन एक्सप्रेस और फेसबु के कार्यक्रम ’26/11 स्टोरीज ऑफ स्ट्रेंथ’ के उद्घाटन के मौके पर बोल रहे थे। सीएम फड़नवीस ने कहा कि देश की आर्थिक राजधानी मुंबई में सीसीटीवी नेटवर्क जैसे आधुनिक तकनीकी की अनदेखी संभव नहीं है। फड़नवीस ने कहा, “मानवीय हस्तक्षेप से खतरे का पूरी तरह मुकाबला करना संभव नहीं है। हमें तकनीकी की मदद लेनी होगी।” सीएम फड़नवीस ने साल 2008 में मुंबई पर हुए आतंकी हमले को पूरे देश पर हमला बताते हुए कहा कि इस हमले का सभी देशवासियों के दिलो-दिमाग पर गहरा असर हुआ है।
फड़नवीस ने कहा, “तटीय इलाके में कम से कम 600 जगहों पर कोई भी व्यक्ति निगरानी के लिए नहीं तैनात नहीं है। इन जगहों पर 600 पुलिस थाने बनाने या सुरक्षाकर्मी तैनात करने पर भी मानवीय त्रुटि की संभावना रह जाएगी। मेरा मानना है कि तकनीकी ही इसका हल है। तटीय इलाके की निगरानी के लिए हम थर्मल कैमरा लगा रहे हैं। सभी तटीय राज्यों में सभी लैंडिंग प्वाइंट पर इलेक्ट्रानिक सर्विलांस होना चाहिए।” इंडियन एक्सप्रेस के नेशनल अफेयर्स एडिटर प्रवीण स्वामी से बातचीत में सीएम फड़नवीस ने कहा कि मुंबई हमले के बाद भी कुछ समय पहले तक चौबीसों घंटे की निगरानी सुनिश्चित नहीं की जा सकी थी। सीएम ने बताया कि अब निगरानी व्यवस्था शुरू हो चुकी है और तटीय इलाकों में भी सुरक्षा व्यवस्था पहले से कड़ी हो चुकी है। सीएम ने बताया कि पहले हर दो साल पर होने वाली सैन्य ड्रिल (सागर कवच) अब हर तीन महीने पर होती है। ये ड्रिल केंद्रीय सुरक्षा एजेंसियों के साथ मिलकर की जाती है। सीएम ने बताया कि स्टैंडर्ड ऑपरेटिंग प्रोसीजर (एसओपी) का पूरी तरह पालन किया जा रहा है और अब केंद्रीय एजेंसियों, पैरामिलिट्री और राज्य एजेंसियों के बीच पहले से बेहतर आपसी तालमेल है।
मुस्लिम युवकों के चरमपंथ के प्रभाव में आने से जुड़े एक सवाल के जवाब में फड़नवीस ने कहा, “इसकी पीछे मुख्यतः सामाजिक आर्थिक कारण हैं।” सीएम फड़नवीस के अनुसार राज्य सरकार मुस्लिम नौजवानों को मुख्या धारा में लाने के लिए कई कदम उठा रही है। सीएम फड़नवीस ने कहा, “आठ विभागों को 42 कदम उठान के लिए कहा गया ताकि सामाजिक और आर्थिक रूप से अलग-थलग पड़ रहे नौजवानों को मुख्यधारा में लाया जा सके। साथ ही धार्मकि नेताओं की मदद से ऐसे नौजवानों से संवाद भी स्थापित किया जा रहा है।” फड़नवीस के अनुसार राज्य में 27 नवयुवकों को आतंकवादी संगठन आईएसआईएस के चुंगल में आने से बचाया गया है।
कार्यक्रम में हुई एक परिचर्चा के दौरान मुंबई के ज्वाइंट कमिश्नर देवन भारती ने आतंकवादी हमलों को सुरक्षा एजेंसियों की “कल्पनाशक्ति की विफलता” बताया। भारती ने कहा, “हममें से किसी ने नहीं सोचा था कि समुद्र के रास्ते कई जगहों से आतकंवादी हमला हो सकता है।” भारती के अनुसार मुंबई हमले से पहले दुनिया के किसी देश की सुरक्षा एजेंसी के पास ऐसे हमलों से बचने की तैयारी नहीं थी लेकिन सभी देशों ने एक ही साथ पांच-छह जगहों से आतंकी हमले होने पर जवाबी कार्रवाई के लिए एसओपी तैयार कर लिया है।
कार्यक्रम में घटना के कई पीड़ितों ने भी अपनी आप बीती साझा की। किया शेरर के पति और बेटी ओबेराय होटल पर हुए आतंकी हमले में मारे गए थे। शेरर कहती हैं कि मुंबई ने उन्हें नई जिंदगी दी। वो कहती हैं, “मुंबई में मेरा नया जन्म हुआ।” पत्रकार और कलाकार सौरभ मिश्रा को लियोपोल्ड कैफे में आतंकियों ने गोली मार दी थी। उन्हें कार्यक्रम में बताया कि किस तरह एक हॉकर ने उन्हें अस्पताल पहुंचाया और उनकी जान बचाई। कुन्हा कम्युनिकेशन प्राइवेट लिमिटेड के क्रिएटिव हेड राहुल दा कुन्हा कहते हैं कि दिसंबर 1992 मुंबई हमले की पूर्वपीठिका था।
ईडीवी वेंचर के सीईओ और संस्थापक टोनी सरो ने कार्यक्रम में बताया कि फेसबुक जल्द ही एक मॉडल लॉन्च करने वाला है जिससे युवा भारत को सुरक्षित बनाने के लिए कैंपेन शुरू कर सकेंगे। टोनी के अनुसार इस मॉडल से कट्टरपंथियों विचारों, असहिष्णुता और पूर्वाग्रहों पर रोकथाम में मदद मिलेगी। फेसबुक ने इस मॉडल को 13 अमेरिकी यूनिवर्सिटियों और दूसरे देशों के 10 विश्वविद्यालयों में परीक्षण के लिए उतारा था। टोनी के अनुसार अब इसमें 65 देशों की 280 यूनिवर्सिटियां जुड़ चुकी हैं। कट्टरपंथ के खिलाफ कैंपेन करने वाले नौजवानों को 2000 डॉलर का इनाम दिया जाएगा।
इंडियन एक्सप्रेस समूह के कार्यकारी निदेशक अनंत गोयनका ने कार्यक्रम में कहा, “ये काफी अहम है क्योंकि हमारी पहचान आपके साहस से ही होती है। आपकी उम्मीद से ही हमारी उम्मीद को नई जान मिलती है। सच तो ये है कि आज भी हम आतंकवाद के साये में जी रहे हैं। भले ही कुछ भटके हुए बेवकूफ नौजवानों को ये लगे कि वो जब चाहे वो हमारी जान ले सकते हैं, लेकिन उन्हें ये जान लेना चाहिए कि हम कैसे जिएंगे ये वो नहीं तय कर सकते। हम सीखते रहेंगे और परिपक्व होते रहेंगे। यही हमारी सिविल सोसाइटी की ताकत है।”
वीडियोः देखें कार्यक्रम के उद्घाटन समारोह में महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फड़नवीस
वीडियोः देखें कार्यक्रम में अनंत गोयनका का स्वागत भाषण
वीडियोः देखें कार्यक्रम में सीएम देवेंद्र फड़नवीस से सवाल पूछते एक पीड़ित
