फिल्म ‘ऐ दिल है मुश्किल’ के निर्माताओं और मनसे प्रमुख राज ठाकरे के बीच ‘मध्यस्थता’ को लेकर आलोचना झेल रहे महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने कहा है कि उन्होंने निर्माताओं की ओर से सेना कल्याण कोष में पांच करोड़ देने की पेशकश का विरोध किया था। फडणवीस ने मुद्दे को सुलझाने के लिए अपने हस्तक्षेप को उचित ठहराते हुए कहा कि लोकतांत्रिक सरकारों को शांति के लिए कई बार अलगाववादियों और वाम चरमपंथियों के साथ बातचीत करनी पड़ती है। पाकिस्तानी अभिनेता फवाद खान के करण जौहर की इस फिल्म के हिस्सा होने के कारण मनसे कार्यकर्ता इसका विरोध कर रहे थे। फिल्म को 28 अक्तूबर को सिनेमा घरों में प्रदर्शित होना है और पिछले हफ्ते फडणवीस की मध्यस्थता में फिल्म प्रोड्यूसर्स गिल्ड, निर्माता और मनसे नेता ठाकरे के बीच हुई बैठक के बाद ही इसकी रिलीज का रास्ता साफ हो सका। बैठक में सेना कल्याण कोष में पांच करोड़ रूपये के योगदान की प्रमुख मांग को निर्माताओं ने स्वीकार कर लिया था। इसकी विपक्षी पार्टियों और कुछ भूतपूर्व सैनिकों ने आलोचनाा की थी। फडणवीस ने कल शाम अपने आवास ‘वर्षा’ में कहा, ‘‘ठाकरे ने तीन मांगें रखी थी, जिनमें से दो मांगों पर कोई आपत्ति नहीं थी। जब पांच करोड़ रूपये का मुद्दा आया तो मैंने हस्तक्षेप किया और फिल्म प्रोड्यूसर्स गिल्ड को साफ किया कि उन्हें इसपर सहमत होने की जरूरत नहीं है। मैंने उनसे यह भी कहा कि योगदान स्वैच्छिक होना चाहिए। बहरहाल, इसे स्वीकार करना निर्माताओं का फैसला था।’’

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फडणवीस ने कहा, ‘‘ मैंने स्पष्ट तौर पर कहा कि हमारे शहीदों के परिवारों के साथ खड़ा होने का गिल्ड का फैसला अच्छा है लेकिन इसमें बाध्यता नहीं होनी चाहिए। फिर भी अगर वह अब भी ऐसा करना चाहते हैं तो वह जो भी राशि उचित समझें उसका योगदान कर सकते हैं। यह पांच करोड़ रूपये का आंकड़ा मनसे की ओर से आया था लेकिन बैठक में इस पर सहमति नहीं बनी थी और उसी वक्त इसे खारिज कर दिया गया था।’’ जब उनसे समझौते में ‘मध्यस्थता’ के आरोपों के बारे में पूछा गया तो फडणवीस ने कहा, ‘‘दूसरा विकल्प यह था कि (जब फिल्म रिलीज हो तो) सिनेमा घरों के बाहर हजारों पुलिसकर्मियों को तैनात कर दिया जाए। तब मुझ पर यह आरोप लगता कि दिवाली पर मैंने पुलिसकर्मियों की छुट्टी खराब कर दी। मुद्दे को बातचीत के जरिए हल करना चाहिए और हम लोकतांत्रिक सरकार हैं।’’ उन्होंने कहा कि उनके हस्तक्षेप से पहले, मुंबई पुलिस इस मुद्दे पर प्रदर्शन करने वाले मनसे कार्यकर्ताओं को गिरफ्तार कर चुकी थी। ऐसे में सरकार की मंशा पर शक नहीं करना चाहिए। कुछ लोगों ने यहां तक कहा कि राज्य सरकार दोनों ओर से खेल रही है जो सच नहीं है।

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भाजपा की सहयोगी शिवसेना ने इस मामले में मुख्यमंत्री के हस्तक्षेप को लेकर आलोचना की है और फडणवीस की कार्रवाई को पाकिस्तानी लोगों का पक्ष लेने वाला करार दिया है। इस पर मुख्यमंत्री ने कहा, ‘‘क्या हमारी सरकार शांति के लिए हुर्रियत (कॉन्‍फ्रेंस) जैसे अलगाववादियों से या नक्सली समूहों से बातचीत नहीं करती। ऐसे में राजनीतिक पार्टी से अपेक्षाकृत छोटे मसले पर चर्चा किये जाने की इतनी तीखी आलोचना नहीं की जानी चाहिए। मेरे ख्याल से सफलतापूर्व मध्यस्थता ने कुछ लोगों को निराश किया है।’’ उन्होंने मनसे पर नरम रूख अपनाने के आरोपों का खंडन किया और जोर दिया कि ऐसी वार्ताओं के पीछे कोई राजनीतिक मंशा नहीं है।