बबलू कुमार दीपक लश्कर-ए-तैयबा के खूंखार आतंकी अजमल आमिर कसाब को याद करते हुए कहते हैं, ‘कॉलेज बॉय की तरह लग रहा था कसाब। वह वीडियो गेम खेल रहा था जब यात्रियों पर अंधाधुंध फायरिंग कर रहा था।’ 42 साल के दीपक तब छत्रपति शिवाजी महाराज टर्मिनस (CSMT) के बाहरी हिस्से में रेलवे अनाउंसर थे और उन लोगों में से एक थे जिन्होंने रेलवे स्टेशन पर भयंकर आतंकी हमला होता देखा। स्टेशन आतंकी हमले में पचास से अधिक लोगों की मौत हुई थी। CSMT स्टेशन के एंट्री गेट के पास ड्यूटी पर तैनात दीपक ने दिल दहला देना पूरा आतंकी हमला अपनी आंखों से देखा। दीपक ही पहले रेलवे कर्मचारी थे, जिन्होंने हमले की जानकारी रेलवे कंट्रोल रूम को दी।

26 नवंबर, 2008 को सुबह सात बजे दीपक ड्यूटी के लिए बायकला रेलवे स्टेशन पहुंचे। मगर स्टाफ की कमी के चलते उन्हें CSMT की भी अतिरिक्त जिम्मेदारी दी गई। दोपहर तीन बजे जब उनकी ड्यूटी खत्म हुई तो CSMT पहुंच गए। दीपक कहते हैं, ‘उस दिन हुसैन सागर एक्सप्रेस (मुंबई से हैदराबाद) रात के 9:30 बजे स्टेशन से गई और इंद्रायणी एक्सप्रेस (मुंबई से पुणे) स्टेशन पर पहुंची। तभी मैंने प्लेफॉर्म नंबर 13 पर धमाके की आवाज सुनी। इसके बाद प्लेटफॉर्म पर अराजकता फैल गई।’ मौत की उस रात को याद करते हुए दीपक कहते हैं, ‘मैंने अपनी आंखों के सामने लोगों को जमीन पर गिरते देखा, उन्हें मरते देखा। कसाब लोगों को गोली मार रहा था। वह हंस रहा था और मुंह से कुछ बोल रहा था।’ प्लेटफॉर्म पर अराजकता का माहौल देख दीपक ने अनाउंस किया कि लोग प्लेटफॉर्म नंबर 13 से दूरे रहें।

हिंदुस्तान टाइम्स की खबर के मुताबिक दीपक खुद कहते हैं, ‘जैसे ही धमाका हुआ मैंने अनाउंस कर लोगों से प्लेटफॉर्म नंबर 3 से दूर रहने को कहा। इस दौरान यात्रियों में अराजकता फैली थी। लोग यहां से वहां भागने लगे।’ लोगों को अलर्ट करने वाले दीपक खुद 27 घंटे और स्टेशन पर छिपे रहे। बाद में उन्हें बचाव दस्ते के प्रयासों से घायल अवस्था में सेंट जॉर्ज हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया। दीपक कहते हैं, ‘एक चीज जो मुझे अभी तक याद है, वो यह है कि आतंकी फायरिंग कर रहे थे और कुली अपनी जिंदगी दांव पर लगाकर घायलों को हॉस्पिटल ले जा रहे थे। वो घटना मुझे हर दिन याद आती है और कसाब का चेहरा आज भी मेरी याद में ताजा है।’

बबलु कुमार को दीपक को बाद में सेंट्रल रेलवे ने वीरता के पुरस्कार से सम्मानित किया। वह अभी बायकला रेलवे हॉस्पिटल में जूनियर क्लर्क के पद पर तैनात हैं। दीपक के मुताबिक आतंकी हमले की छाया अभी भी उनके ऊपर छायी हुई है। हमले का जोरदार शोर अभी भी उन्हें डराता है। जब वह उस आतंकी हमले को याद करते हैं तब-तब उसकी खौफनाक आवाजें उन्हें डरा देती हैं।