भारतीय जनता पार्टी और शिव सेना के गठबंधन में दरार पड़ सकती है। मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो बीजेपी और शिव सेना के बीच तल्खियां इस हद तक बढ़ गई हैं कि बीजेपी राज्य में मध्यावधि चुनाव की तरफ देख रही है। पार्टी के एक सूत्र ने कहा कि मध्यावचि चुनाव का विचार मुख्यमंत्री देवेंद्र फणनवीस की अध्यक्षता में हुई कोर कमेटी की बैठक में भी सामने आया था। इंडिया टुडे से बातचीत में एक वरिष्ठ भाजपा मंत्री ने कहा कि बैठक में दो प्रस्तावों पर चर्चा हुई थी। एक, बीजेपी विपक्ष के 29 विधायकों को अपने पाले में करने की कोशिश की जाए। मंत्री के अनुसार, इसमें कांग्रेस के 15 विधायक और एनसीपी के 19 विधायक हैं। दूसरा, मध्यावधि चुनाव कराकर अपने दम पर लड़ा जाए। हाल ही में हुए उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव के नतीजे देखकर पार्टी को विश्वास है कि वह महाराष्ट्र में भी ऐसा ही करिश्मा दोहरा पाएगी। शिव सेना के साथ गठबंधन कर बीजेपी फिलहाल देवेंद्र फणनवीस के नेतृत्व में सत्ता पर काबिज है।
बीजेपी के खिलाफ शिव सेना का बढ़ता आक्रामक रवैया पार्टी के कोर कमेटी को पसंद नहीं आया है। एक वरिष्ठ मंत्री ने इंडियन एक्सप्रेस से कहा, ”मुख्यमंत्री देवेंद्र फणनवीस उन्हें (शिव सेना विधायकों) लेकर दिल्ली गए और फसल कर्ज माफी के सिलसिले में वित्तमंत्री अरुण जेटली से मिले। इसके बावजूद मुंबई लौटने पर, वह आक्रामक विपक्ष की भूमिका में रहे।” गुरुवार को शिव सेना ने सदन में यह मुद्दा उठाते हुए केंद्र और राज्य पर निशाना साधा कि किसानों की मदद के लिए 35,000 करोड़ रुपए नहीं दिए गए। सेना के मंत्रियों का तर्क था कि अगर बीजेपी उत्तर प्रदेश को कर्ज माफी दे सकती है तो महाराष्ट्र को क्यों नहीं।
हाल में महाराष्ट्र के स्थानीय निकाय चुनाव अलग-अलग लड़ी दोनों सहयोगी पार्टियों के बीच संबंध तनावपूर्ण रहे हैं। शिवसेना ने विधानसभा चुनाव प्रचार के दौरान अक्सर ही भाजपा और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को आड़े हाथ लिया था। यूपी के चुनावी नतीजों पर शिव सेना सांसद संजय राउत ने पत्रकारों से कहा था, ”सपा-कांग्रेस) चुनाव हार गए हैं वे अब शिवसेना के महत्व को और उस तरीके को महसूस करेंगे जिससे इसने मुंबई में मोदी लहर को घुसने से रोक दिया। हालांकि, इन चुनावों का महाराष्ट्र पर असर नहीं होगा। हम हफ्ते भर बाद राज्य की राजनीति के बारे में बात करेंगे जब ज्यादातर लहर शांत पड़ जाएगा और नयी सरकार बन जाएगी।”