महाराष्ट्र के पुणे जिले में पुलिस ने एक दलित को जबरन मानव मल खिलाने के आरोप में एक ईंट भट्टा मालिक को गिरफ्तार किया है। पिंपरी चिंचवड पुलिस ने जिले में मुल्शी तालुका के जम्भे गांव से आरोपी को अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम के तहत गिरफ्तार किया है। खबर है कि पीड़ित और आरोपी के बीच किसी बात को लेकर कहासुनी हो गई, जिसके बाद इस घटना को अंजाम दिया गया।
दरअसल अनुसूचित जाति के मातंग सुमदाय से संबंध रखने वाले पीड़ित मजदूर सुनील अनिल पावले (22) ने इस बाबत हिंजेवाड़ी पुलिस स्टेशन में एक एफआईआर दर्ज कराई। पुलिस ने आरोपी की शिनाख्त जम्भे गांव निवासी संदीप पवार (42) के रूप में की है, जो मराठा समुदाय से संबंध रखता है। हालांकि पवार और उसके परिवार के सदस्यों ने आरोप से इनकार किया है। पावले का परिवार मूल रूप से उस्मानाबाद से संबंध रखता है, अब यह परिवार सालों से पुणे में रह रहा है।
वहीं सुनिल पावले ने अपनी शिकायत में कहा कि वह और उसका परिवार पिछले दो सालों से पवार के ईंट भट्टा में काम करता है और वहीं रहता आया है। पावले के मुताबिक घटना बुधवार (13 मार्च, 2019) दोपहर करीब दो बजे की है। वह और उसके पिता अनिल, मां सविता और दादा-दादी दोपहर का खाना खाने के बाद ईंट भट्टा पर बैठे थे। इसी दौरान पवार वहां पहुंचा और उनसे अपना काम शुरू करने को कहा।
पावले ने बताया, ‘हमने पवार को बताया कि बिल्कुल अभी अपना लंच खत्म किया है और थोड़ी देर में अपना काम शुरू कर देंगे। मगर पवार गुस्सा हो गया और मेरी और मेरे पिता की पिटाई कर दी। उसने हमें बहुत गंदी भाषा में गालियां दीं। तो इसके जवाब में मैंने भी उसे गालियां दीं। इसपर पवार ने अपनी पत्नी दीप्ती को मटके में मानव मल लाने को कहा। इतना ही नहीं उसने मानव मल ना लाने पर अपनी पत्नी को भी खेत में इस्तेमाल करने वाले हथियार से धमकी दी। उसकी पत्नी मटके में मानव मल ले आई और इसे पति के करीब में ही रख दिया। इस दौरान में चुप रहा।’ पीड़ित ने आगे बताया, ‘मगर वह गुस्सा हो गया और मुझे पीटा। इससे मैं बहुत डर गया और कुछ मानव मल खाने को मजबूर होना पड़ा।’
पावले ने इंडियन एक्सप्रेस को बताया, ‘पूरी घटना अन्य मजदूरों के सामने घटी। कोई हमारी मदद को आगे नहीं आया। घटना के बाद मैं बहुत डर गया। इसलिए मैंने वहां से काम छोड़ दिया और परिवार के साथ वकाड स्थित अपनी आंटी के यहां चला आया। हमारा सामान अभी भी ईंट भट्टा पर है। हमने पवार से पचास हजार रुपए का लोन लिया है। लोन का अधिकांश हिस्सा भी चुका भी दिया है। इसके बाद भी उसने हमारे साथ अमानवीय व्यवहार किया। पवार जानता है कि हम दलित हैं। इसलिए अब हम वहां काम करने नहीं जा रहे।’
