महाराष्ट्र में सत्ता परिवर्तन के बाद सियासी हलचल भले ही कम हुई हो लेकिन जुबानी जंग जारी है। राज्य के सीएम एकनाथ शिंदे ने अपने एक ताजा बयान से खुद पर किये गये निजी हमले पर पलटवार किया है। उन्होंने अपने एक ट्वीट में लिखा, ‘ऑटो रिक्शा मर्सिडीज से आगे निकल गया है क्योंकि ये एक आम आदमी की सरकार है।’
दरअसल एकनाथ शिंदे राजनीति में कदम रखने से पहले ऑटो ड्राइवर थे। ऐसे में महाराष्ट्र में सियासी संग्राम के दौरान कई शिवसैनिकों ने ऑटोवाला कहकर उनपर निजी हमले भी किये। उद्धव ठाकरे ने भी कहा था कि तीन पहिए वाले ड्राइवर को सरकार चलाने के लिए दे दिया है। इसी को लेकर एकनाथ शिंदे ने पलटवार किया है।
शिंदे ने कहा, “मैंने कहा है कि उस रिक्शा ने मर्सिडीज को पीछे छोड़ दिया क्योंकि ये सरकार सर्वसामान्य लोगों के लिए सरकार है, ये समाज के हर वर्ग को न्याय दिलाने वाली सरकार है। शिंदे ने कहा कि बालासाहेब ठाकरे का हिन्दुत्व का जो मुद्दा है, हिन्दुत्व के जो विचार हैं, उनकी जो भूमिका है, उसे आगे ले जाने का फैसला हम लोगों ने किया है। हमारे लगभग 50 विधायक अगर एक साथ ऐसी भूमिका लेते हैं तो इसका कोई बड़ा कारण होगा। इसपर विचार करने की आवश्यकता थी।
उन्होंने कहा कि जनता को लगा था कि भाजपा सत्ता के लिए कुछ भी करती है लेकिन उन्होंने सभी देशवासियों को बता दिया है कि इन 50 लोगों ने एक हिन्दुत्व की भूमिका ली है, इनका एजेंडा हिन्दुत्व का है, विकास का है, इनका समर्थन करना चाहिए। उन्होंने हमें समर्थन किया।
कांग्रेस और एनसीपी के साथ सरकार बनाने को लेकर शिंदे ने कहा, “मैंने कई बार चर्चा की कि महा विकास अघाडी में जो हम बैठे हैं इससे हमें फायदा नहीं हैं, नुकसान है। हमारे विधायक चिंतित हैं कि कल चुनाव कैसे लड़ें। नगर पंचायत चुनाव में हम 4 नंबर पर गए। मतलब सरकार का फायदा शिवसेना को नहीं हो रहा है।”
महाराष्ट्र के सीएम एकनाथ शिंदे ने पीएम मोदी और अमित शाह को धन्यवाद देते हुए कहा कि देवेंद्र फडणवीस बड़े दिल से उपमुख्यमंत्री बन गए। लेकिन जब पार्टी का आदेश आता है तो पार्टी का आदेश मानते हैं वो और मेरे जैसे बालासाहेब के कार्यकर्ता को मुख्यमंत्री पद पर बैठा दिया। मैं PM मोदी का, केंद्रीय गृह मंत्री और भाजपा अध्यक्ष को धन्यवाद करता हूं।
वहीं एमवीए को लेकर निशाना साधते हुए शिंदे ने कहा कि शिवसेना-भाजपा ने एक साथ चुनाव लड़ा था लेकिन कांग्रेस-NCP के साथ सरकार बन गई। इसके कारण जब भी हिन्दुत्व के मुद्दे आए, दाऊद का मुद्दा आया, मुंबई बम ब्लास्ट का मुद्दा और भी कई मुद्दे जब आते थे, हम कोई भी निर्णय नहीं ले पा रहे थे।