शिवसेना के सांसदों व विधायकों के बगावत करने की स्थिति में उद्धव ठाकरे गुट के सामने संगठन को मजबूत करने की चुनौती है। ऐसे में इसी साल राज्य में होने वाले बीएमसी चुनाव में उद्धव ठाकरे को उत्तर भारतीयों से आस लगी है। दरअसल शिवसेना में एकनाथ शिंदे गुट को पार्टी के 55 में से 40 विधायकों का समर्थन है। हाल ही में 12 शिवसेना सांसद भी शिंदे गुट के साथ खड़े हैं। ऐसे में महाराष्ट्र में होने वाले बीएमसी चुनाव में उद्धव ठाकरे गुट को खुद को साबित करने के लिए करो या मरो वाली स्थिति बनी हुई है।
उत्तर भारतीयों के समूह से की मुलाकात:
बता दें कि महाराष्ट्र में इसी साल बृहन्मुंबई नगर निगम (बीएमसी) चुनाव होने वाले हैं। इस बीच महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने मंगलवार को शहर में रहने वाले उत्तर भारतीयों के एक समूह से मुलाकात की। यह मुलाकात ऐसे समय में हुई जब शिवसेना के 12 सांसदों ने एकनाथ शिंदे खेमे को समर्थन दिया।
द इंडियन एक्सप्रेस को ठाकरे के आवास ‘मातोश्री’ से मिली जानकारी के मुताबिक, ‘ पार्टी विधायकों और हमारे सांसदों ने भले ही ठाकरे का साथ छोड़ दिया हो, लेकिन अब हम संगठन को मजबूत करने के लिए जनता के समर्थन पर निर्भर हैं।’
दरअसल शिवसेना ने पिछले तीन दशकों से बीएमसी पर अच्छी पकड़ बनाए रखी लेकिन पार्टी में बगावत के चलते यह पकड़ डगमगाती दिख रही है। क्योंकि पार्टी में बगावत के कारण शिवसेना का मूल मराठी वोट बैंक बिखर गया है। इसके साथ ही ठाकरे की “भूमि के पुत्र” की छवि भी प्रभावित हुई है। पार्टी के अंदरूनी सूत्रों का कहना है कि शिवसेना के मराठी वोट बैंक में बिखराव के चलते अब पार्टी उत्तर भारतीयों में अपनी पैठ मजबूत करने का प्रयास कर रही है।
बीएमसी में उत्तर भारतीयों का गणित: बीएमसी चुनाव में उत्तर भारतीय मतदाताओं की संख्या 18 से 20 प्रतिशत है। इनमें से अधिक संख्या उत्तर प्रदेश और बिहार के लोगों की है। निकाय के 227 में से 50 वार्डों में उत्तर भारतीय वोटर बहुसंख्यक हैं। इसमें करीब 40-45 वार्डों में इनकी पकड़ मजबूत है। राज्य में साल 2017 में हुए बीएमसी चुनाव में शिवसेना दूसरे नंबर पर थी।