भगवान हनुमान का जन्मस्थान तय करने के लिए महाराष्ट्र के नासिक में बैठे संतों में जबदस्त झगड़ा हो गया। साधुओं की कहासुनी के बीच माइक से हमले की कोशिश भी हुई। नौबत इतनी बिगड़ गई थी कि पुलिस तक को मामले में दखल देनी पड़ी, जिसके बाद हालात काबू में आए। बाद में हनुमान के जन्मस्थल पर विवाद सुलझाने वाली इस धर्म सभा को टाल दिया गया।

दरअसल, मंगलवार (पांच मई, 2022) को हनुमान के जन्म स्थल पर विवाद को विराम देने के लिए नासिक में एक धर्म सभा बुलाई गई थी। कार्यक्रम में बैठने के बंदोबस्त और अन्य मसलों पर साधुओं के दो समूहों में जमकर कहासुनी हुई।

आध्यात्मिक नेता किषकिंधा मठाधिपति स्वामी गोविन्दानंद सरस्वती ने हाल ही में दावा किया था कि किषकिंधा (कर्नाटक के हम्पी में स्थित माना जाता है) हनुमान का जन्म स्थल था। न कि नासिक में अंजनेरी। उनके इस दावे के बाद धर्म सभा बुलाई गई थी। उन्होंने इस दावे से सहमत नहीं होने वालों को सबूत पेश करने को कहा था, जिसके बाद यहां के साधुओं-महंतों ने एक धर्म सभा का आयोजन करने का फैसला किया था।

हालांकि, एक शोभायात्रा का नेतृत्व करते हुए त्रयम्बकेश्वर से अंजनेरी पहुंचने की गोविन्दानंद सरस्वती की योजना का अंजनेरी के निवासियों और साधुओं ने विरोध किया, जिनका मानना है कि इससे माहौल खराब हो सकता है। दोनों स्थानों के बीच की दूरी करीब 15 किमी है।

अफसरों के अनुसार, लोगों ने नासिक-त्रयम्बकेश्वर मार्ग को सोमवार को बाधित कर दिया था ताकि गोविन्दानंद के आने पर वे अपना विरोध दर्ज करा सकें। उन्होंने बताया कि मंगलवार को धर्म सभा बैठने की व्यवस्था को लेकर तीखी नोंकझोंक के साथ शुरू हुई और उसके बाद अन्य मुद्दों पर साधुओं ने एक दूसरे पर कटाक्ष किए। जब एक आध्यात्मिक नेता ने खुद का परिचय दिया, तब भगवान कालाराम मंदिर के महंत सुधीरदास ने कथित तौर पर उन्हें ‘कांग्रेसी’ कहा, जिस पर दोनों समूहों के बीच तीखी नोंकझोंक हुई। यही वजह रही कि महंत सुधीरदास ने धमकी देते हुए माइक का एक स्टैंड उठा लिया था।

कुछ प्रतिभागियों ने पत्रकारों को बताया कि इस बीच गोविन्दानंद के समर्थकों ने दावा किया कि उन्हें सभा में अपने विचार रखने की अनुमति नहीं दी गई जिस कारण कहासुनी और तेज हो गई। स्थिति नियंत्रण से बाहर जाते देख पुलिस को शांति व्यवस्था कायम रखने के लिए हस्तक्षेप करना पड़ा।

सभा में शरीक हुए लोगों में कैलाश स्वामी मठ के स्वामी संविदानंद सरस्वती, सच्चे गुरुजी, पुरोहित संघ प्रमुख सतीश शुक्ला शामिल थे। कई साधुओं ने इस बात की पुष्टि की है कि धर्म सभा टाल दी गई और बाद में एक नई तारीख की घोषणा की जाएगी।