देशभर में कोरोनावायरस के बढ़ते केसों के बीच जहां एक तरफ राज्य सरकारें केंद्र के साथ मिलकर लॉकडाउन हटाने और महामारी का सामना करने में जुटी हैं, वहीं महाराष्ट्र में इस वक्त लॉ़कडाउन को लेकर राजनीतिक बयानबाजी शुरू हो गई है। ताजा विवाद महाराष्ट्र के राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी और मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे के बीच खड़ा हुआ है। दो दिन पहले ही कोश्यारी ने राज्य में पूजास्थलों को खोलने की मांग के साथ ठाकरे से पूछा था कि कहीं वे धर्मनिरपेक्ष तो नहीं बन गए। इस पर सीएम ने पलटवार करते हुए कहा था कि धर्मनिरपेक्ष शब्द संविधान में निहित है और जब आपने (राज्यपाल ने) राजभवन में शपथ ली थी, तो इसकी रक्षा करने की प्रतिबद्धता जताई थी।

राज्यपाल ने यह चिट्ठी सोमवार को भेजी थी। इस पर ठाकरे ने मंगलवार को जवाब में कहा कि उन्हें अपनी हिंदुत्व का परिचय देने के लिए कोश्यारी के सर्टिफिकेट की जरूरत नहीं है। महाराष्ट्र के महाविकास अघाड़ी सरकार में शिवसेना की साथी राकांपा ने भी सीएम का बचाव किया। पार्टी नेता शरद पवार ने इस सिलसिले में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को चिट्ठी लिखकर राज्यपाल के इस बर्ताव पर आश्चर्य जाहिर किया।

पवार ने चिट्ठी में लिखा, “संविधान की प्रस्तावना में ही धर्मनिरपेक्ष शब्द जोड़ा गया है, जो कि सभी धर्मों की रक्षा के लिए है और इसलिए मुख्यमंत्री की कुर्सी पर बैठे व्यक्ति को संविधान के ऐसे सिद्धांतों को कायम रखना चाहिए। दुर्भाग्यपूर्ण है कि राज्यपाल का मुख्यमंत्री को लिखा पत्र ऐसा है, जैसे किसी पार्टी के नेता को लिखा गया हो।”

उन्होंने आगे कहा, “मुझे पूरा विश्वास है कि एक लोकतंत्र में राज्यपाल और मुख्यमंत्री के बीच विचारों का आदान-प्रदान स्वतंत्रता के साथ होना चाहिए। हालांकि, इसका भाव हमेशा उस संवैधानिक पद को ध्यान में रखकर होना चाहिए।”

मंदिर खुलवाने के लिए भाजपा कार्यकर्ताओं का राज्यभर में प्रदर्शन: मंदिर खुलवाने की मांग के साथ भाजपा कार्यकर्ता पिछले दो दिनों से लगातार प्रदर्शन कर रहे हैं। इनका कहना है कि जब राज्य में सब कुछ फिर से खुल गया है तो सिर्फ मंदिर क्यों बंद हैं। उन्होंने नारेबाजी की ‘मंदिरा चालू मंदिर बंद’। कार्यकर्ताओं ने कहा कि अगर भक्तों के लिए मंदिर फिर से नहीं खोले जाते तो वे बड़ा आंदोलन करेंगे।

दूसरी तरफ महाराष्ट्र में नेता विपक्ष देवेंद्र फडणवीस ने राज्यपाल के जवाब में लिखी गई उद्धव ठाकरे की चिट्ठी पर सवाल उठाए। फडणवीस ने कहा कि राज्यपाल एक संवैधानिक पद है। इसके कुछ शिष्टाचार हैं। उनके साथ कोई भी संचार सम्मान को बनाए रखते हुए होना चाहिए। उन्होंने कहा कि सीएम की चिट्ठी की भाषा ठीक नहीं थी।