महाराष्ट्र के राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी ने गुजराती-राजस्थानी वाले अपने बयान पर सोमवार (1 अगस्त, 2022) को माफी मांग ली है। उन्होंने कहा कि 21 जुलाई को एक कार्यक्रम के दौरान भाषण में उनसे एक चूक हो गई, जिसके लिए उन्होंने माफी मांगी है। उन्होंने एक बयान में कहा था कि अगर महाराष्ट्र से विशेष रूप से मुंबई और थाणे से राजस्थानी और गुजराती को हटा दिया जाए, तो यहां कोई धन नहीं बचेगा।
कोश्यारी ने अपने माफीनामे में कहा, “भारत के विकास में महाराष्ट्र समेत सभी राज्यों का योगदान है। महाराष्ट्र की उदारता और सबको साथ लेकर चलने की उज्जवल परंपरा से ही देश प्रगति की ओर बढ़ रहा है। पिछले 3 सालों में मुझे राज्य की जनता से बहुत प्यार मिला और मैंने भी महाराष्ट्र एवं मराठी भाषा के सम्मान को बढ़ाने का प्रयास किया है। लेकिन 21 जुलाई को भाषण में कुछ समुदायों की प्रशंसा करते समय कुछ भूल हो गई। महाराष्ट्र के महान संतों की परंपरा में अपने इस विनम्र राज्य सेवक को क्षमा कर अपने विशाल दिल का परिचय दें।”
शुक्रवार को मुंबई के अंधेरी में एक सभा को संबोधित करते हुए, भगत सिंह कोश्यारी ने कहा, “… अगर गुजराती और राजस्थानी लोगों को महाराष्ट्र, खासकर मुंबई और ठाणे से हटा दिया जाता है, तो यहां कोई पैसा नहीं बचेगा। आप मुंबई को वित्तीय राजधानी कहते हैं, लेकिन अगर ये (गुजराती और राजस्थानी) लोग यहां नहीं होंगे, तो इसे वित्तीय राजधानी नहीं कहा जाएगा।”
उनके इस बयान पर प्रतिक्रिया देते हुए मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने कहा कि मुंबई के विकास में मराठी लोगों के योगदान को कोई भी नकार नहीं सकता। उन्होंने कहा, “हम राज्यपाल द्वारा दिए गए बयान का समर्थन नहीं करते हैं। यह उनका निजी बयान है।” वहीं, भारतीय जनता पार्टी ने भी कोश्यारी के बयान से दूरी बना ली थी और कहा कि मराठी उद्योगपतियों और उद्यमियों ने न केवल महाराष्ट्र में ही नहीं बल्कि विश्व स्तर पर बहुत बड़ा योगदान दिया है।
इस बीच, पूर्व मुख्यमंत्री और शिवसेना अध्यक्ष उद्धव ठाकरे ने कोश्यारी की माफी की मांग की थी। वहीं, शिवसेना सांसद संजय राउत ने राज्यपाल के इस बयान की निंदा की और कहा कि राज्यपाल ने मेहनती मराठी लोगों का अपमान किया है।