महाराष्ट्र के गोंदिया जिले के एक छोटे से गांव बोरगांव बाजार में गहमागहमी है। दरअसल बोर्ड एग्जाम के बाद 25 आदिवासी बच्चों को 45 दिन के लिए आईआईटी की कोचिंग दी गई थी। यह राज्य सरकार का प्रोग्राम था और सरकार की कोशिश थी कि गांव के अधिक से अधिक बच्चे यह परीक्षा पास करें। सरकार की कोशिश रंग लाई है और 25 आदिवासी बच्चों में से 21 ने JEE एडवांस एग्जाम पास कर लिया है।
प्रोजेक्ट शिखर के तहत छात्रों को दी जा रही कोचिंग
प्रोजेक्ट शिखर, जिसके तहत प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए कोचिंग शिविर आयोजित किया जाता है, उसे राज्य सरकार द्वारा 2021 में शुरू किया गया था। कोचिंग के लिए चुने गए 25 छात्रों में से 21 ने जेईई-एडवांस्ड के लिए क्वालीफाई किया है जबकि 10 को NEET के परिणाम का इंतजार है। कुछ छात्र मेडिकल और इंजीनियरिंग दोनों प्रवेश परीक्षाओं में शामिल हुए थे। इस प्रोग्राम के तहत 45 दिन तक छात्रों को कोचिंग दी जाती है और इसे कोचिंग बूट कैंप कहा गया है।
आदिवासी विकास विभाग (TDD) के अतिरिक्त आयुक्त रवींद्र ठाकरे ने कहा, “इन छात्रों ने जेईई-मेन को क्रैक किया और बिना किसी प्रोफेशनल प्रशिक्षण के जेईई-एडवांस्ड में सफलता प्राप्त की।” TDD के प्रोजेक्ट ऑफिसर विकास राहेलवार ने टाइम्स ऑफ इंडिया से कहा, “हमने छात्रों को एक कॉमन एंट्रेंस एग्जाम के बाद चुना है। वे पूर्वी विदर्भ के सबसे दूरस्थ गांवों से हैं, जिनमें से कई माओवाद प्रभावित हैं।”
TDD अब प्रोजेक्ट का विस्तार करना चाहता
सफलता से उत्साहित TDD अब प्रोजेक्ट का विस्तार करना चाहता है। विकास राहेलवार ने कहा, “इस बार हमारे पास 25 छात्र थे। अगले साल यह 200 हो जाएगी। हम इसके लिए जमीनी कार्य कर रहे हैं।” जिन भी छात्रों ने जेईई एडवांस की परीक्षा पास की है, वह स्टूडेंट अब जल्द ही आईआईटी में एडमिशन लेंगे।
इस प्रोग्राम के तहत जिन भी छात्रों ने परीक्षा पास की है वह या तो राज्य सरकार द्वारा फाइनेंस आश्रम शालाओं से पढ़े हैं या फिर एकलव्य विद्यालय के छात्र रहे हैं, जिसकी फंडिंग केंद्र सरकार करता है। बता दें कि बोरगांव बाजार को आदिवासी छात्रों के लिए चुना गया है और यहां पर अच्छी तरह से आवासीय परिसर बनाए गए हैं। राज्य सरकार सभी प्रतियोगी छात्रों के रहने और खाने का इंतजाम भी करती है।
