Shiv sena vs Shiv sena: असली शिवसेना कौन? इस मामले पर सुप्रीम कोर्ट में बुधवार को सुनवाई हुई। एकनाथ शिंदे और उद्धव ठाकरे के गुट के बीच मतभेद बढ़ने के बाद पार्टी में दो धड़े हो गए। अब दोनों पक्ष खुद को असली शिवसेना बता रहे हैं। दोनों पक्षों के वकीलों की तरफ से दी गई दलीलों के बाद कोर्ट ने इस मामले में सुनवाई कल (गुरुवार) तक के लिए टाल दी।
चीफ जस्टिस एनवी रमना ने एकनाथ शिंदे गुट की तरफ से पेश हुए वरिष्ठ वकील हरीश साल्वे को नए सिरे से जवाब दाखिल करने को कहा। चीफ जस्टिस एन वी रमना, जस्टिस कृष्ण मुरारी और जस्टिस हिमा कोहली की बेंच शिवसेना और बागी विधायकों द्वारा दायर याचिकाओं में पार्टी के विभाजन, विलय, बगावत और अयोग्यता को लेकर उठाए गए संवैधानिक सवालों पर सुनवाई कर रही थी।
उद्धव ठाकरे गुट का पक्ष रखने के लिए पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने कहा कि शिंदे गुट में जाने वाले विधायक संविधान की 10वीं अनुसूची के तहत अयोग्यता से तभी बच सकते हैं, अगर वे अलग हुए गुट का किसी अन्य पार्टी में विलय कर देते हैं। उन्होंने पीठ से कहा कि उनके बचाव का कोई अन्य रास्ता नहीं है।
यह पार्टी में बगावत का मामला- साल्वे
वहीं, हरीश साल्वे ने कहा कि दलबदल कानून उन नेताओं के लिए हथियार नहीं है जो पार्टी के सदस्यों को एकजुट रखने में सफल नहीं हुए हैं। तथ्यात्मक पहलुओं का हवाला देते हुए साल्वे ने कहा कि यह मामला विधायकों द्वारा स्वेच्छा से अपनी पार्टी की सदस्यता छोड़े जाने का नहीं है। साल्वे ने कहा कि यह दलबदल नहीं है। यह पार्टी की आंतरिक बगावत का मामला है और किसी ने भी स्वेच्छा से पार्टी की सदस्यता नहीं छोड़ी है।
वहीं, सीजेआई ने पूछा, “आप कौन हैं?” इस पर साल्वे ने कहा, “हम शिवसेना में ही हैं।” साल्वे ने कहा, “मैं शिवसेना का ही हिस्सा हूं। पार्टी के भीतर लोकतंत्र होना चाहिए। मैं कह रहा हूं कि राजनीतिक दल के भीतर दो गुट हैं.. यह 1969 में कांग्रेस में हुआ है।”