मुंबई यूनिवर्सिटी में होने वाले एक सेमिनार के कारण विवाद की आशंका थी, लेकिन समय रहते ही कांदिवली से भाजपा विधायक द्वारा यह मुद्दा उठाए जाने से राज्य सरकार की किरकिरी होने से बच गई। दरअसल, विधानसभा में बोलते हुए भाजपा विधायक अतुल भातखलकर ने गवर्नर के नोटिस में यह बात रखी कि मुंबई यूनिवर्सिटी के डॉ. अंबेडकर सेंटर फॉर सोशल जस्टिस में एक सेमिनार का आयोजन किया गया है। इस सेमिनार में मास्टर्स की एक छात्रा ‘सेना द्वारा कश्मीर पर कब्जाः कश्मीरी महिलाओं का शारीरिक शोषण’ विषय पर बोलने वाली है। विधायक भातखलकर ने इसका विरोध करते हुए कहा कि इस तरह के पेपर का सेमिनार में पढ़ा जाना देश विरोधी गतिविधि के समान है।

भातखलकर ने कहा कि हमारी संसद दो बार यह रेजोल्यूशन पास कर चुकी है कि पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर समेत पूरा राज्य भारत का है। ऐसे में, यूनिवर्सिटी में इस तरह के पेपर पढ़ा जाना कश्मीर पर भारत के दावे के विरुद्ध होगा। भारत ने कश्मीर पर बलपूर्वक कब्जा नहीं किया है, बल्कि कश्मीर ने खुद भारत का साथ चुना था। भाजपा विधायक ने कहा कि सेमिनार में कश्मीर मुद्दे पर होने वाली बहस को रद्द किया जाए और जिन लोगों ने इस मुद्दे पर बहस की अनुमति दी है, उनके खिलाफ भी कार्रवाई की जाए।

भाजपा विधायक द्वारा यह मुद्दा उठाए जाने के बाद महाराष्ट्र के शिक्षा मंत्री विनोद तावड़े ने कहा कि हमारी यूनिवर्सिटीज में कई ऐसे तत्व हैं, जो कि खुद की बात को कानून समझते हैं और अगर आप उन्हें कोई सलाह देते हैं तो वो तुरंत यूनिवर्सिटी की स्वायत्तता और फ्रीडम ऑफ एक्सप्रेशन के हनन का मुद्दा उठा देते हैं। हालांकि, मैं इस मामले में अथॉरिटी से बात करूंगा और सेमिनार में कश्मीर मुद्दे पर होने वाली बहस को रोकने का निर्देश दूंगा। साथ ही, हम गवर्नर के सामने भी यह मुद्दा उठाएंगे, क्योंकि राज्य की सभी यूनिवर्सिटी के चांसलर राज्यपाल ही होते हैं। बता दें कि भाजपा विधायक द्वारा यह मुद्दा उठाए जाने के बाद महाराष्ट्र के शिक्षा मंत्री विनोद तावड़े ने तुरंत मुंबई यूनिवर्सिटी के अधिकारियों से इस मामले की जानकारी ली और मास्टर्स की उस छात्रा को सेमिनार में कश्मीर मुद्दे पर पेपर पढ़ने से रोकने का आदेश दिया।  वहीं, दूसरी तरफ यूनिवर्सिटी के एक प्रोफेसर का कहना है कि सेमिनार के दौरान स्पीकर मौजूद नहीं थीं।