आम आदमी पार्टी के पूर्व नेता और वरिष्‍ठ वकील प्रशांत भूषण ने अरविंद केजरीवाल सरकार के लोकपाल को सबसे बड़ा धोखा करार दिया है। उन्‍होंने आरोप लगाया है कि लोकपाल बिल के ड्राफ्ट में जो प्रावधान हैं, वे उन सिद्धांतों पर आधारित नहीं हैं, जिनकी बात अन्‍ना आंदोलन के समय की गई थी। भूषण ने दिल्‍ली सरकार के लोकपाल बिल को सरकारी लोकपाल से भी बदतर बताया है। उन्‍होंने कहा कि केजरीवाल भी नरेंद्र मोदी की तरह सवाल सुनना पसंद नहीं करते हैं, इसलिए उन्‍होंने बिल के प्रावधान अभी तक सार्वजनिक नहीं किए हैं।

भूषण जिस वक्‍त ये आरोप लगा रहे थे, उस समय आम आदमी पार्टी के बागी विधायक पंकज पुष्‍कर भी मौजूद थे। उन्‍होंने दावा किया कि केजरीवाल सरकार के ‘जन लोकपाल’ बिल कॉपी उनके पास है, क्‍योंकि वह बिजनेस एडवाइजरी कमेटी के सदस्‍य हैं। प्रशांत भूषण ने आरोप लगाया कि ‘अरविंद केजरीवाल सत्‍ता के लिए यह सब कर रहे हैं। लिहाजा, उन्‍हें इस्‍तीफा दे देना चाहिए।’

भूषण ने दावा किया कि दिल्ली सरकार का नया लोकपाल विधेयक उससे अलग है, जिसका मसौदा अन्ना हजारे के नेतृत्व में भ्रष्टाचार निरोधक आंदोलन के दौरान तैयार किया गया था, क्योंकि उसमें स्वतंत्र लोकपाल की नियुक्ति एवं उसे पद से हटाना राज्य सरकार के अधीन था। उन्‍होंने कहा कि यह विधेयक स्वतंत्र लोकपाल के सभी सिद्धांतों को ध्वस्त करता है और यह ‘जोकपाल से भी बदतर’ है… ‘जोकपाल’ वही शब्द, जिसका इस्तेमाल केंद्र सरकार की ओर से पारित लोकपाल विधेयक के लिए किया था।

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