कोरोना संक्रमण के प्रसार को रोकने के लिए पिछले साल लागू पूर्णबंदी के दौरान महाराष्ट्र के औरंगाबाद जिले में हुए रेल हादसे में जान गंवाने वाले मध्य प्रदेश के सभी 16 मजूदरों के परिजनों को दस महीने बाद भी मृत्यु प्रमाणपत्र नहीं मिल सका है। इससे उनके परिजनों को बैंक, बीमा एवं अन्य कामों में कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है।

औरंगाबाद जिले में रेल की पटरियों पर सो रहे इन 16 प्रवासी मजदूरों की पिछले साल आठ मई को एक मालगाड़ी की चपेट में आने से मौत हो गई थी। ये सभी महाराष्ट्र के जालना में एक स्टील फैक्टरी में काम करते थे और पूर्णबंदी के कारण बेरोजगार होने के बाद रेल की पटरियों के किनारे-किनारे पैदल चल कर मध्य प्रदेश में अपने घरों को लौट रहे थे। थकान के कारण वे पटरियों पर ही सो गए थे और ट्रेन की चपेट में आने से इनकी मौत हो गई थी। इन 16 मजदूरों में 11 मजदूर शहडोल जिले के थे एवं बाकी उमरिया जिले के।
अधिकारियों का कहना है कि औरंगाबाद प्रशासन ने अब तक मृत्यु प्रमाणपत्र नहीं भेजे हैं। हालांकि, मध्य प्रदेश सरकार एवं महाराष्ट्र सरकार द्वारा दी गई राहत राशि परिजनों को मिल गई है।

शहडोल जिले के जयसिंहनगर के सब डिवीजनल मजिस्ट्रेट (एसडीएम) दिलीप पांडे ने बताया, ‘मृत्यु प्रमाणपत्र वहीं से जारी होते हैं जहां किसी की मृत्यु होती है। इन सभी मजदूरों की मौत औरंगाबाद जिले में हुई थी। वहां के प्रशासन को पत्र लिखा गया है।’ पांडे ने कहा, ‘शहडोल कलेक्टर ने औरंगाबाद कलेक्टर से मृत्यु प्रमाणपत्र के लिए बात की है। प्रमाणपत्र के लिए औरंगाबाद कलेक्टर को दोबारा पत्र भेजा गया है।’

मृतक मजदूरों के परिजनों के अनुसार उन्होंने जयसिंहनगर के तत्कालीन एसडीएम को मृत्यु प्रमाणपत्र के लिए आवेदन भी दिया था, लेकिन उन्होंने यह कह कर इसे खारिज कर दिया कि मृत्यु प्रमाणपत्र वहीं से बनेगा जहां मृत्यु हुई है। अभी हाल में ही दोबारा सभी मजदूरों के परिजनों ने मृत्यु प्रमाणपत्र के लिए आवेदन दिया है।

हादसे के शिकार हुए मजदूर दीपक सिंह की पत्नी चंद्रवती ने कहा कि मृत्यु प्रमाणपत्र नहीं होने से उन्हें विधवा पेंशन का लाभ नहीं मिल रहा है। सभी सरकारी कामों में मृत्यु प्रमाणपत्र की आवश्यकता होती है। मजदूर राजबहार की पत्नी सुनीता सिंह ने बताया कि मृत्यु प्रमाणपत्र नहीं होने से वह विधवा पेंशन का लाभ नहीं ले पा रही हैं। इसी तरह मजदूर बृजेश की पत्नी पार्वती सिंह ने कहा कि मृत्यु प्रमाणपत्र नहीं होने के कारण बैंक के काम नहीं हो पा रहे हैं और विधवा पेंशन का लाभ भी नहीं मिल पा रहा है।

रेल दुर्घटना में अपने दोनों बेटों बृजेश एवं शिवदयाल को खोने वाले गजराज सिंह ने बताया, ‘बैंक वाले कहते हैं कि मृत्यु प्रमाणपत्र लाओ, तभी काम होगा। एसडीएम के पास जाते हैं तो कहते हैं कि बनेगा, लेकिन मृत्यु प्रमाणपत्र आज तक नहीं बना। सभी मजदूरों के मृत्यु प्रमाणपत्र नहीं बनने से उनके परिजनों की एक जैसी समस्या पैदा हो गई है। बैंक, बीमे से लेकर जमीन के कागजात से जुड़े सभी काम रुके हैं।’