मध्य प्रदेश सरकार ने राज्य गौ सुरक्षा बोर्ड के चेयरमैन स्वामी अखिलेश्वरानंद को तरक्की दी है। अब उन्हें राज्य में कैबिनेट मंत्री का दर्जा हासिल होगा। ये फैसला मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने बुधवार (13 जून) को लिया है। इससे पहले स्वामी अखिलेश्वरानंद के पास राज्य मंत्री का दर्जा था। सूत्रों के मुताबिक, स्वामी अखिलेश्वरानंद ने कथित तौर पर मुख्यमंत्री के प्रति नाराजगी जताई थी।
स्वामी इस बात से कथित तौर पर नाराज थे कि बिना उनकी अनुमति लिए दो अन्य धार्मिक चेहरों को राज्यमंत्री का पद दे दिया गया। स्वामी अखिलेश्वरानंद के अनुसार दोनाेें ही नामों यानी कंप्यूटर बाबा और योगेन्द्र महंत की छवि समाज में विवादित हैै। स्वामी अखिलेश्वरानंद के अलावा कंप्यूटर बाबा और योगेन्द्र महंत को भी ये दर्जा दिया गया था, जो इस पैनल के सदस्य थे।
Swami Akhileshwaranand given cabinet minister rank by Madhya Pradesh government, he was earlier given MoS rank.
— ANI (@ANI) June 13, 2018
बता दें कि राज्य सरकार ने मार्च में एक कमिटी का गठन किया था। इस कमिटी का उद्देश्य नर्मदा नदी के तटों पर साफ—सफाई के लिए आम आदमी को जागरूकता अभियान के लिए सजग बनाना था। स्वामी अखिलेश्वरानंद इस कमिटी के सदस्य थे।इससे पहले 3 अप्रैल 2018 को राज्य सरकार ने मध्य प्रदेश के पांच बड़े धार्मिक और आध्यात्मिक गुरुओं को मंत्री पद का दर्जा दिया था। यहां तक कि इन सभी धर्मगुरुओं में से किसी ने पैनल की किसी भी मीटिंग में हिस्सा नहीं लिया था।
बता दें कि गोरक्षा बोर्ड के अध्यक्ष रहते हुए उन्होंने कहा था कि गाय के कारण ही तीसरा विश्व युद्ध होगा। उन्होंने कहा था, ‘मिथकों में भी इसके संदर्भ हैं और 1857 में आजादी की पहली लड़ाई भी गाय पर ही शुरू हुई थी।’ इस बयान पर काफी विवाद हुआ था। स्वामी अखिलेश्वरानंद पहले ऐसे धार्मिक व्यक्ति हैं, जिन्हें बोर्ड में चेयरमैन का पद मिला है।