मोहन यादव राजनीतिज्ञ हैं और भारतीय जनता पार्टी के सदस्‍य हैं। 1965 को उज्‍जैन में पूनमचंद यादव के घर जन्‍में, मोहन यादव ने पढ़ाई के दौरान ही राजनीति में कदम रख लिए थे वो एमए, पीएचडी हैं। उनकी शादी सीमा यादव से हुई है और उन्‍हें दो बेटे और एक बेटी हैं। मोहन यादव का विवादित बयानों से लंबा नाता रहा है। यही वो वजह है कि वह मीडिया में हमेशा चर्चा का विषय बने रहते हैं। चुनाव आयोग ने उपचुनाव 2020 में असयंमित भाषा का उपयोग करने पर एक दिन के लिए प्रचार करने से प्रतिबंध लगा दिया था।

राजनीतिक सफरनामा

उन्‍होंने माधव विज्ञान महाविद्यालय से पढ़ाई की है। वह अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद उज्‍जैन के नगर मंत्री रहे हैं।1982 में उन्‍हें छात्र संघ का सह सचिव चुना गया। भाजपा की राज्‍य कार्यकारि समिति के सदस्‍य और सिंहस्‍थ, मध्‍य प्रदेश की केंद्रीय समिति के सदस्‍य रहे हैं। मध्‍य प्रदेश विकास प्राधिकरण के प्रमुख, पश्चिम रेलवे बोर्ड में सलाहकार समिति के सदस्‍य रह चुके हैं।

पहली बार 2013 में बने विधायक

मध्‍य प्रदेश के उज्‍जैन दक्षिण निर्वाचन क्षेत्र से विधानसभा के लिए दो बार 2013 और 2018 में निर्वाचित हो चुके हैं। 2 जुलाई 2020 को उन्‍होंने श्री शिवराज सिंह चौहान के नेतृत्‍व वाली सरकार में कैबिनेट मंत्री (उच्‍च शिक्षा ) के रूप में शपथ ली। मोहन यादव का विवादित बयानों से लंबा नाता रहा है। यही वो वजह है कि वह मीडिया में हमेशा चर्चा का विषय बने रहते हैं। चुनाव आयोग ने उपचुनाव 2020 में असयंमित भाषा का उपयोग करने पर एक दिन के लिए प्रचार करने से प्रतिबंध लगा दिया था।

विवादों से रहा है नाता

उज्जैन के मास्टर प्लान को लेकर शिवराज सरकार के उच्च शिक्षा मंत्री मोहन यादव पर कांग्रेस ने गंभीर आरोप लगाए हैं। कांग्रेस का आरोप है कि मंत्री और उनके परिवार के लोगों को फायदा पहुंचाने के लिए मास्टर प्लान को गलत तरीके से पास किया गया है। पर यादव इन आरोपों को खारीज करते हैं।

माता सीता को लेकर रहे हैं विवाद में

मोहन यादव ने माता सीता को लेकर विवादित बयान दिया था। मंत्री ने कहा था कि ‘मर्यादा के कारण राम को सीता को छोड़ना पड़ा। उन्होंने वन में बच्चों को जन्म दिया। कष्ट झेलकर भी राम की मंगलकामना करती रहीं। आज के दौर में ये जीवन तलाक के बाद की जिंदगी जैसा है’।