अस्पताल में मृत घोषित किए जा चुके शख्स के परिजन उसके अंतिम संस्कार की तैयारी में जुटे थे। लोग हैरान रह गए जब अचानक अर्थी पर लेटे हुए मुर्दे की सांसें चलने लगीं। ये वाकया मध्य प्रदेश के ग्वालियर शहर का है। ग्वालियर के शब्द प्रताप आश्रम के निवासी 60 वर्षीय हरी सिंह राजपूत को सांस लेने में तकलीफ के कारण अस्पताल में भर्ती करवाया गया था। वहीं उनका इलाज चल रहा था। डॉक्टरों ने मरीज के परिजनों को भरोसा दिया था कि वह उन्हें 24 घंटे बाद छुट्टी दे देंगे।
गुरुवार (22 नवंबर, 2018) को, सुबह करीब 6 बजे हरी सिंह को एक इंजेक्शन लगाया गया। इंजेक्शन लगते ही उनकी हालत बिगड़ गई। हरी सिंह ने उल्टियां करनी शुरू कर दी जबकि उनके मुंह से झाग गिरने लगा। उनके परिजनों ने शोर मचाया और डॉक्टर को बुलाया। डॉक्टर ने आने के बाद हरी सिंह को मृत घोषित कर दिया। परिवार को मृत देह को घर ले जाने के लिए कहा गया।
इस दौरान परिजनों ने अस्पताल प्रबंधन और डॉक्टरों पर लापरवाही का आरोप लगाकर जमकर हंगामा किया। परिजनों ने पुलिस को भी बुलवाया और डॉक्टरों द्वारा गलत इंजेक्शन देने के कारण मरीज की मौत होने का आरोप लगाया। हंगामे के बाद, पुलिस अधिकारियों ने मरीज को वेंटिलेटर पर कथित तौर पर ये कहकर रखवा दिया कि अभी भी उसके जिंदा बचने की उम्मीद है। हालांकि कुछ देर बाद ही उसकी मौत हो गई।जब स्थानीय मीडिया अस्पताल पहुंचा, तो राजपूत के बेटे लक्ष्मी नारायण ने कथित तौर पर आरोप लगाया कि गलत दवाई देने के कारण उनकी मौत हो गई है और अस्पताल प्रबंधन ने पुलिस को गुमराह करने के लिए ही उन्हें वेंटिलेटर पर रखवाया है।
पुलिस ने परिजनों को सांत्वना दी और समझा-बुझाकर मृत देह देकर वापस घर भेज दिया। हरी सिंह के निधन की सूचना जब रिश्तेदारों और पड़ोसियों को मिली तो सभी उनके घर पर जमा हो गए और रोना—पीटना शुरू हो गया। जब उनके परिवार का एक सदस्य मृत देह के करीब गया तो उसे नाड़ी चलती हुई महसूस हुई। इसके बाद जब उसने अन्य परिजनों को बताया तो उन्होंने भी शरीर को छूकर देखा तो उन्हें भी नब्ज चलती मालूम हुई। इसके बाद परिजनों ने तत्काल डॉक्टरों को बुलाया। उन्हें निजी अस्पताल ले जाया गया, जहां अभी भी उनका इलाज चल रहा है।