मध्य प्रदेश के सरकारी शिक्षकों को मंडला में पीएम नरेंद्र मोदी की सभा के दौरान विशिष्ट अतिथियों को पानी और भोजन परोसने की जिम्मेदारी दी गई है। इसके लिए जिला प्रशासन ने उन्हें विशेष आईडी कार्ड दिया है। इस कार्ड पर ‘भोजन-व्यवस्था’ लिखा हुआ है। बता दें कि सीएम शिवराज सिंह चौहान की सरकार ने शिक्षकों को ‘राष्ट्र निर्माता’ का ऊंचा दर्जा दे रखा है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मंगलवार (24 अप्रैल) को मंडला जिले के रामनगर में राष्ट्रीय पंचायती राज दिवस का उद्घाटन और तीन दिवसीय आदि उत्सव की शुरुआत करने पहुंचे थे। इस दौरान खुद सीएम शिवराज सिंह चौहान यहां मौजूद थे। टाइम्स ऑफ इंडिया की एक रिपोर्ट के मुताबिक जिला पंचायत के मुख्य कार्यकारी अधिकारी ने 145 शिक्षकों को आदेश जारी किया है। इनमें से 73 ‘वरिष्ठ अध्यापक’ हैं। इस शिक्षकों को कार्यक्रम के दौरान वीआईपी अतिथियों को नाश्ता बांटने का जिम्मा दिया गया था। इस आदेश के मुताबिक, “जिला कलेक्टर के आदेश के मुताबिक अतिथियों के लिए भोजन और नाश्ते का इंतजाम खाद्य और नागरिक आपूर्ति विभाग के अधिकारियों की निगरानी में किया जाएगा, पानी के पाउच और खाने की चीजों को बांटने का काम शिक्षकों द्वारा किया जाएगा जिनके नाम यहां दिये गये हैं।”

बता दें कि पिछले सितंबर में मध्य प्रदेश के टीकमगढ़ में कई शिक्षकों से जिला प्रशासन ने स्वच्छता अभियान के तहत बनने वाले शौचालयों के लिए गड्ढ़े खुदवाये थे। इस मुद्दे पर देश भर में हंगामा हुआ था। तब राज्य सरकार ने निर्देश जारी किया था कि स्कूली शिक्षकों को चुनाव कार्यों के अलावा किसी भी दूसरे काम में नहीं लगाया जाएगा। लेकिन मुश्किल से 6 महीने बाद ही राज्य सरकार ने शिक्षकों को नाश्ता बांटने का ये निर्देश जारी किया है।

जब इस बावत शिक्षकों से बात की गई तो उन्होंने दबी जुबान में अपनी पीड़ा जाहिर की। एक शिक्षक ने अपना नाम छुपाते हुए कहा कि शिक्षक समुदाय के लिए यह बेहद शर्मनाक है। वहीं एक दूसरे शिक्षक ने कहा कि उनके पास आदेश मानने के अलावा कोई चारा नहीं है। एक टीचर ने अपना गुस्सा जाहिर करते हुए कहा कि उन्हें यकीन नहीं होता है कि राज्य सरकार अध्यपाकों को लेकर ऐसा आदेश करती है। इस टीचर ने कहा कि जब उन्होंने अपने वरिष्ठों का नाम इस लिस्ट में देखा तो वह चुपचाप, लाचारीवश अपना काम करने के लिए आ गये। एक शिक्षक का कहना है कि दो दिनों से बोर्ड की कापियां जांचने के बजाय उन्हें खाना और पानी की व्यवस्था देखनी पड़ रही है। इससे घटिया कुछ भी नहीं हो सकता है। मंडला के जिला पंचायच सीईओ सुजान रावत, जिन्होंने इस आदेश को जारी किया है ने इस मुद्दे पर बात करने से ही इंकार कर दिया। जबकि स्कूली शिक्षा मंत्री विजय शाह ने भी इस मसले पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी।