मध्य प्रदेश के छतरपुर जिले में चिकित्सीय लापरवाही का एक अनोखा मामला सामने आया है। डॉक्टरों की लापरवाही की वजह से पहले तो एक प्रसूता की डिलीवरी उचित देखभाल में नहीं हुई, उसे बेहतर इलाज भी नहीं मिला है फिर उसे बिना मेडिकल जांच के मृत घोषित कर दिया गया। जब परिजनों ने लाश को घर पर लाया और उसके अंतिम संस्कार की तैयारियों में जुट गए तो देखा कि लाश में हलचल हो रही है। इसके तुरंत बाद लोगों ने सरकारी एम्बुलेंस में मरीज को लेकर जिला अस्पताल की और चल पड़े लेकिन एम्बुलेंस में ऑक्सीजन नहीं होने की वजह से बीच रास्ते में ही मरीज ने दम तोड़ दिया। जब अस्पताल पहुंचे तो डॉक्टरों ने फिर से मृत घोषित कर दिया। इस लापरवाही के बाद पीड़ित परिजनों ने छतरपुर जिला अस्पताल में जमकर हंगामा किया।
दरअसल, नगर के वार्ड नंबर 12 कुसमा निवासी अरविंद अहिरवार की पत्नी भागवती अहिरवार को डिलीवरी के लिए पांच जनवरी को दिन में करीब 11 बजे महाराजपुर स्वास्थ्य केंद्र लाया गया था। दोपहर करीब एक बजे प्रसूता ने एक स्वस्थ बच्ची को जन्म दिया लेकिन प्रसूता की स्थिति बिगड़ गई। प्रसूता की सास के मुताबिक पहले तो मरीज को पेट में भयंकर दर्द होने लगा फिर वो बेड के नीचे लेटकर छटपटाने लगी। जब इसकी सूचना ड्यूटी पर मौजूद नर्सों की दी और मरीज को उठाकर बेड पर रखवाने की गुजारिश की तो उन लोगों ने इस पर ध्यान नहीं दिया। इस वजह से मरीज की हालत ज्यादा खराब हो गई और उसका शरीर अकड़ गया। बाद में डॉक्टर ने प्रसूता को मृत बताकर घर ले जाने को कह दिया।
जब मृत समझकर लोग प्रसूता को घर ले गए और वहां अंतिम संस्कार की तैयारी करने लगे तो उसके शरीर में हरकत महसूस की गई। मृतक की सास के मुताबिक मरीज ने उस वक्त आंखें खोलकर देखा था। उसकी आंखों से आंसू बह निकले थे। बतौर मृतक की सास उनका बेटा इंदौर में रहता है। सूचना मिलने पर वह उसी वक्त घर आया था। उसे देखकर मरीज ने आंखें खोली थीं। इसे देखकर लोग चौंक गए और तुरंत सरकारी एम्बुलेन्स बुलाया। मरीज को लेकर जब लोग छतरपुर जिला अस्पताल जा रहे थे, तभी रास्ते में एम्बुलेंस में लगे ऑक्सीजन सिलेंडर में ऑक्सीजन खत्म हो गया। इससे मरीज की रास्ते में ही मौत हो गई। जब अस्पताल पहुंचे तो डॉक्टरों ने मरीज को फिर से मृत घोषित कर दिया। उधर, एम्बुलेंस का ड्राइवर मरीज को स्ट्रेचर पर लिटाकर वहां से भाग खड़ा हुआ।
डॉक्टर के मुताबिक, जब मरीज अस्पताल लाई गई थी, उससे पहले ही उसकी मौत हो चुकी थी। डॉक्टर ने बताया कि जब जांच किया गया तो मरीज की प्लस रेट और सांस थम चुकी थी। डॉक्टर के मुताबिक करीब आधा घंटा पहले मरीज की मौत हो चुकी थी। मरीज की मौत की खबर पाकर उसके परिजन अस्पताल में हंगामा करने लगे और इस मौत के लिए महाराजपुर अस्पताल के कर्मचारी और डॉक्टरों को जिम्मेदार ठहराने लगे। बाद में हंगामा बढ़ता देख पुलिस ने मामले में हस्तक्षेप किया और पीड़ित परिजनों को समझा-बुझाकर लाश का अंतिम संस्कार कराने के लिए घर वापस भेजा।