मध्य प्रदेश के मशहूर ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग मंदिर की मरम्मत के दौरान अधिकारों को वहां एक प्रचीन तहखाना मिला है। कयास लगाए जा रहे हैं कि मंदिर के तहखाने से असली शिवलिंग मिल सकता है। चूंकि माना जाता था कि 17वीं शताब्दी में मंदिर पर मुगलों के आक्रमण करने से ध्यान हटाने के लिए लोगों ने शिवलिंग छिपा दिया था। मंगलवार (20 फरवरी, 2019) को खंडवा जिला प्रशासन ने बताया कि मंदिर के गर्भगृह के नीचे पाए जाने वाले प्राचीन कक्ष को इसकी मूल संरचना का हिस्सा माना जाता था। मंदिर के मरम्मत कार्य से जुड़े विशेषज्ञों के मुताबिक प्रचीन तहखाने का निर्माण आठवीं और नौवीं शताब्दी के बीच हुआ था। इसका व्यास 8X10 फीट के आसपास हो सकता है। निचले हिस्से से इसकी दीवार की मोटाई 65cm से 75cm के बीच है।
अधिकारियों ने आगे बताया कि वर्तमान संरचना, जहां शिवलिंग रखा गया है, का निर्माण आक्रमणकारियों का ध्यान हटाने के लिए किया गया था। जानकारी के मुताबिक स्थानीय लोगों और मंदिर से जुड़े अधिकारियों ने खोजे गए तहखाने में शिवलिंग होने का अनुमान लगाया है। हालांकि अभी इस बात की पुष्टि नहीं हो सकी है तहखाने में शिवलिंग है। मामले में मुनीश पंडित ने बताया कि तहखाना मंदिर शिखर के ठीक नीचे मौजूद है, और विश्वास के अनुसार वहां असली शिवलिंग हो सकता है। मुनीश पंडित को प्रशासन ने मंदिर की मरम्मत के लिए सलाहकार नियुक्त किया है।
वहीं मामले में जिला कलेक्टर विशेश गढ़पाले ने एक अंग्रेजी अखबार को बताया कि मरम्मत कार्य के लिए मंदिर की 3डी स्कैनिंग के दौरान प्रचीन तहखाने के बारे में जानकारी मिली। इसी दौरान मंदिर के ठीक बीच में किसी प्रकार की खाली जगह की पहचान की गई। अधिकारी ने आगे बताया कि तहखाने की सटीक जानकारी मिल गई है। मगर गाद की वजह से काम में बाधा आ रही है। हालांकि उन्होंने साफ किया कि मंदिर के गर्भ गृह को अभी छुआ नहीं गया है। मामले में ज्यादा जानकारी का अभी इंतजार है।