उपनिवेशवाद के दौर में साम्राज्यवादी देशों द्वारा लिखे गये आसियान देशों के इतिहास पर सवाल उठाते हुए भारत सरकार के वित्त मंत्रालय में प्रमुख आर्थिक सलाहकार संजीव सान्याल ने कहा कि साम्राज्यवादी देशों ने अपने हितों की रक्षा के लिये इसे लिखा, और यह पूर्ण सत्य नहीं है। ‘भारत आसियान यूथ समिट’ में 11 देशों के प्रतिनिधियों को कल शाम यहां संबोधित करते हुए सान्याल ने कहा, ‘‘आसियान देशों में औपनिवेशिक शासन के दौर में साम्राज्यवादी देशों ने अपने हितों की रक्षा के लिये इन देशों की सभ्यता, संस्कृति और इतिहास को जिस रूप में लिखा, वह पूर्ण सत्य नहीं है।’’ उन्होंने कहा, ‘‘आज जरूरत है कि यह देश अपनी सभ्यता और संस्कृति से खुद को जोड़ते हुए इसकी व्याख्या करें।’’

इस अवसर पर मध्य प्रदेश की महिला एवं बाल विकास मंत्री अर्चना चिटनिस ने आसियेनिज्म को पुनर्स्थापित करने के लिए 11 देशों के प्रतिनिधियों को बधाई देते हुए कहा है, ‘‘ऐतिहासिक कारणों से औपनिवेशिक विस्तार के कारण हमारी यह पहचान खो गई थी। इसे 70 साल की संक्षिप्त अवधि में फिर से स्थापित करना प्रशंसनीय है।’’

अर्चना ने कहा, ‘‘एशिया विश्व में आध्यात्म और मानवता का स्रोत रहा है। हम ऐसे समय में जी रहे हैं, जब परिस्थितिवश विश्व पश्चिम से पूरब की ओर केन्द्रित होता जा रहा है। हमें एशियाई गरिमा को अभिव्यक्त करने और अपनी राष्ट्रीय पहचान सशक्त करने के लिये संयुक्त रूप से प्रयास करने की आवश्यकता है।’’ सत्र में भारत तथा आसियान देशों के बीच ऐतिहासिक रूप से विकसित हुए व्यापारिक, राजनीतिक, सामाजिक तथा सांस्कृतिक संबंधों पर विस्तार से चर्चा हुई।

भोपाल में विदेश मंत्रालय, मध्यप्रदेश शासन तथा इंडिया फाउण्डेशन द्वारा आयोजित सम्मेलन में भारत सहित थाईलैंड, इंडोनेशिया, वियतनाम, फिलिपिन्स, मलेशिया, सिंगापुर, म्यांमा, कम्बोडिया, लाओस तथा ब्रुनेई के प्रतिनिधि भाग ले रहे हैं। पांच दिवसीय यह सम्मेलन 14 अगस्त को शुरू हुआ।