साल के अंत में होने जा रहे मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव से पहले सत्तारूढ़ भाजपा को झटका देते हुए विधायक विरेंद्र रघुवंशी ने गुरुवार को पार्टी से नाता तोड़ लिया। प्रदेश भाजपा अध्यक्ष को विष्णु दत्त शर्मा को भेजे त्यागपत्र में उन्होंने दावा किया कि पार्टी में उनकी ‘उपेक्षा’ की गई। बाद में भोपाल में प्रेस कांफ्रेंस में उन्होंने कहा कि पिछले तीन से पांच वर्षों में उन्होंने मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और शीर्ष नेतृत्व से कई बार अपने दर्द को साझा किया, लेकिन “उन लोगों ने कोई ध्यान नहीं दिया।” विरेंद्र रघुवंशी शिवपुर जिले के कोलारस एसेंबली सीट से विधायक हैं। इस बीच वरिष्ठ कांग्रेसी नेता पूर्व केंद्रीय मंत्री अरुण यादव ने एक बयान में कहा, “विरेंद्र रघुवंशी दो सितंबर को कांग्रेस में शामिल होंगे।”
विधायक का आरोप- 2014 और 2019 के चुनाव में मेहनत की भी हुई अनदेखी
उन्होंने कहा कि 2014 और 2019 के लोकसभा चुनाव में ग्वालियर और चंबल संभाग के पार्टी कार्यकर्ताओं ने जीतोड़ मेहनत की थी, लेकिन उन सभी लोगों की मेरे साथ ही अनदेखी की गई। रघुवंशी ने आरोप लगाया कि भ्रष्ट अधिकारियों की कोलारस विधानसभा क्षेत्र में नियुक्ति की जा रही है, ताकि विकास कार्यों में बाधा पहुंचाई जा सके तथा हमें और हमारे कार्यकर्ताओं को परेशान किया जा सके।
ज्योतिरादित्य सिंधिया पर भी साधा निशाना
उन्होंने भाजपा नेता और केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया पर भी निशाना साधा, जिन्होंने 2020 में कांग्रेस छोड़ दी थी, जिसके बाद कई कांग्रेस विधायकों ने भी इस्तीफा दे दिया और सत्तारूढ़ दल में शामिल हो गए थे। रघुवंशी ने दावा किया कि 2020 में राज्य की कांग्रेस सरकार जब गिर गई, तब सिंधिया ने कहा था कि वादे के मुताबिक किसानों का कर्ज 2 लाख रुपये माफ नहीं किए जा रहे हैं, लेकिन भाजपा सरकार बनने के बाद, सिंधिया ने ऋण माफी के बारे में बात तक नहीं की।
रघुवंशी ने पत्र में यह भी आरोप लगाया कि मंत्री और प्रशासन बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार में लिप्त हैं। और दावा किया कि शिवपुरी जिले के प्रभारी मंत्री ने यह कहकर रिश्वतखोरी को उचित ठहराया कि “यह एक मंदिर में प्रसाद चढ़ाने जैसा है।” उन्होंने आगे दावा किया कि यद्यपि भाजपा ने “गौमाता” (गाय) के नाम पर वोट मांगे, लेकिन उन्होंने इसके लिए कुछ नहीं किया। उनका पोषण, और उनके लिए बनाई गई अधिकतर गौशालाएं निष्क्रिय रहीं।