उच्चतम न्यायालय ने दस साल पहले एक दुल्हन की हत्या करने और उसके शव के टुकड़े करके एक पार्क में फेंकने के मामले में एक परिवार के तीन सदस्यों की दोषसिद्धि और आजीवन कारावास की सजा बरकरार रखी। न्यायमूर्ति प्रफुल्ल सी पंत और न्यायमूर्ति डीवाई चंद्रचूड़ की पीठ ने रिकार्ड में दर्ज सबूतों पर फिर से गौर करने के बाद मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय तथा निचली अदालत के इस नजरिये पर सहमति जताई कि पीड़ित के पति और सास ससुर का हत्या के लिए ‘‘समान आशय’’ था। पीठ ने तीनों दोषियों की अपील खारिज करते हुए कहा, ‘‘इसलिए, रिकार्ड में दर्ज सारे सबूतों पर फिर से गौर करने के बाद हम नीचे की अदालतों से सहमत हैं कि अपील करने वालों का बर्बर हत्या को अंजाम देने में समान आशय था। यह ऐसा मामला नहीं है जहां संबंधित आदेश में कोई हस्तक्षेप किया जाए।’’
पीठ ने दोषसिद्धि बरकरार रखते हुए कहा कि युवती की शादी के छह महीनों के भीतर हत्या कर दी गई थी। शीर्ष अदालत ने कहा कि अपील करने वालों का यह दावा कि महिला एक रिश्तेदार के घर जाने के बाद लापता हो गई थी, ‘‘स्पष्टत: झूठी बात’’ है क्योंकि रिकार्ड में यह साबित हुआ है कि इंदौर में उनके घर पर पीड़ित की हत्या की गई थी। अदालत ने ससुर और पति का यह अनुरोध भी ठुकरा दिया कि जब पीड़ित की मौत हुई तो उस पूरे दिन वे अपनी दुकान में थे और केवल सास घर में थी। अभियोजन के अनुसार, अपराध 16 सितंबर 2006 को हुआ और यह तब प्रकाश में आया जब कुछ लोगों ने सास को शव के काटे गए टुकड़े पार्क में फेंकते देखा।

