मध्य प्रदेश की सत्ता पर 15 साल बाद लौटी कांग्रेसी खेमे में जश्न की तैयारी है। कई दिनों के घमासान के बाद राज्य का सीएम दिवंगत कांग्रेसी नेता संजय गांधी के स्कूली दिनों के दोस्त कमल नाथ को बनाने का निर्णय लिया गया है, जो आज यानी (17 दिसंबर, 2018) को मुख्यमंत्री के रूप में शपथ लेंगे। हालांकि कमल का सीएम पद तक पहुंचा इतना आसान नहीं था। चूंकि राज्य में चुनाव प्रचार के दौरान यह बातें आम थीं कि कांग्रेस चुनाव जीती तो मध्य प्रदेश में कांग्रेस का मुख्यमंत्री कौन होगा? कमल नाथ या युवा ज्योतिरादित्य सिंधिया? 11 दिसंबर को चुनाव के नतीजे स्पष्ट होना शुरू हुए तो कांग्रेस 230 सीटों में से 114 सीटों के साथ सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी। अब सवाल था कि राज्य का मुख्यमंत्री कौन बने? हालांकि लंबे वक्त बाद कांग्रेस आलाकमान ने युवा नेतृत्व की जगह अनुभव को चुना और मुख्यमंत्री के लिए कमल नाथ का नाम आगे किया।
खास बात यह है कि जब पूरी तरह स्पष्ट हो गया कि कमल नाथ ही मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री होंगे। तब वो अपने लंगोटिया यार और स्कूली दिनों के दोस्त दिवंगत कांग्रेसी नेता संजय गांधी को याद करना नहीं भूले। प्रदेश के चौराहे पर कमल नाथ के अभिनंदन के लिए जो होर्डिंग लगवाए गए उसमें मुख्य रूप से संजय गांधी को जगह दी गई। ऐसा ही एक होर्डिंग भोपाल में लगाया गया जिसमें कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी और संजय गांधी को बराबर- बराबर जगह दी गई, जबकि होर्डिंग में कमल नाथ की तस्वीर बहुत छोटी लगाई गई।
दरअसल कमल नाथ और संजय गांधी स्कूली दिनों के दोस्त थे। दोनों की दून स्कूल से दोस्ती शुरू हुई जो मारुति कार बनाने के सपने के साथ युवा कांग्रेस की राजनीति तक जा पहुंची। पत्रकार विनोद मेहता ने अपनी किताब ‘संजय गांधी: अनटोल्ड स्टोरी’ में लिखा है कि संजय गांधी ने पश्चिम बंगाल में कमल नाथ को सिद्धार्थ शंकर रे के खिलाफ मैदान में उतारा था। बाद में कमल नाथ भी यारों के यार निकले। दरअसल 25 जून, 1975 को लगा आपातकाल जब 21 मार्च 1977 को खत्म हुआ तो संजय गांधी को गिरफ्तार कर लिया गया। संजय गिरफ्तार हुए तो उनको कोई परेशानी नहीं हो, इसका ख्याल रखने के लिए कमल नाथ जज के साथ बदतमीजी कर तिहाड़ जेल पहुंच गए।
इसके बाद तो कमल नाथ का सितारा बुलंदियां छूता रहा। वह इंदिरा गांधी की नजरों में भी ऊपर बढ़ते गए। शायद यह इसी का परिणाम था कि कांग्रेस ने कमल नाथ को 1980 में मध्य प्रदेश के छिंदवाड़ा से टिकट दिया। इंदिरा गांधी खुद उनके चुनाव प्रचार में पहुंची और जनता से कहा था, ‘मैं नहीं चाहती कि जनता कमल नाथ को वोट करे। मैं चाहती हूं कि आप लोग मेरे तीसरे बेटे कमल नाथ को वोट दें।’