भोपाल गैस त्रासदी के बाद यूनियन कार्बाइड कॉरपोरेशन के चैयरमेन वारेन एंडरसन को भोपाल से फरार कराने के आरोप में तत्कालीन भोपाल कलेक्टर और पुलिस अधीक्षक के खिलाफ सोमवार (6 फरवरी) को एक स्थानीय अदालत ने जमानती वारंट जारी किया। मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी (सीजेएम) भू भास्कर ने तत्कालीन भोपाल कलेक्टर मोती सिंह और पुलिस अधीक्षक स्वराजपुरी को इस मामले में कई समन के बावजूद अदालत में उपस्थित नहीं होने के कारण आज (सोमवार, 6 फरवरी) दोनों के खिलाफ जमानती वारंट जारी किये गये। सीजेएम ने निर्देश दिया कि दोनों को जमानती वारंट भोपाल एसपी के जरिये तामिल कराया जाये। मामले में 13 जनवरी को पिछली सुनवाई के दौरान भी कई समन के बावजूद दोनों आरोपी अदालत में उपस्थित नहीं हुए थे।
वर्तमान में बंद पड़ी भोपाल यूनियन कार्बाइड फैक्टरी से दो-तीन दिसंबर 1984 की मध्य रात्रि में जहरीली गैस निकलने के चार दिन बाद एंडरसन अमेरिका से मुंबई होते हुए मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल आया था, लेकिन कुछ घंटों के लिए गिरफ्तार किए जाने के बाद उसे कथित रूप से रिहा कर दिया गया था। इसके बाद इस मामले में मुख्य आरोपी एंडरसन कभी भोपाल की अदालत में पेश नहीं हुआ और बाद में अदालत ने उसे भगोड़ा घोषित कर दिया। एंडरसन की वर्ष 2013 में अमेरिका में मौत हो गयी।

मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी (सीजेएम) भूभास्कर यादव ने 19 नवंबर 2016 को अपने आदेश में सेवानिवृत्त आईएएस अधिकारी मोती सिंह एवं सेवानिवृत्त आईपीएस अधिकारी स्वराज पुरी के खिलाफ भादंवि की धारा 212, 217 एवं 221 के तहत मामला दर्ज करने के निर्देश दिये थे। भोपाल गैस पीड़ित महिला उद्योग संगठन के अब्दुल जब्बार की याचिका पर सुनवाई करते हुए अदालत सिंह एवं पुरी दोनों को अदालत में हाजिर होने के लिए कई नोटिस जारी कर चुकी है। मालूम हो कि भोपाल के यूनियन कार्बाइड कारखाने से दो और तीन दिसंबर 1984 के बीच की रात को जहरीली गैस रिसने से कई हजारों लोगों की मौत हो गयी थी और लाखों लोग प्रभावित हुए थे।