मध्यप्रदेश से कुछ दिन पहले एक वीडियो वायरल हुआ था, जिसमें कुछ लोग एक मरीज को ठेले पर लेकर जा रहे थे। यह वीडियो सोशल मीडिया पर खूब वायरल हुआ था और इससे शिवराज सरकार की काफी किरकिरी हुई थी। मध्य प्रदेश सरकार ने तीन स्थानीय पत्रकारों पर धोखाधड़ी, दो वर्गों के बीच दुश्मनी को बढ़ावा देने और आईटी अधिनियम के तहत मामला दर्ज किया है।
कुंजबिहारी कौरव, अनिल शर्मा और एनके भटेले के खिलाफ मामला दर्ज किया गया है। भिंड के जिला कलेक्टर सतीश कुमार एस द्वारा गठित राजस्व और स्वास्थ्य विभागों की एक जांच टीम ने कहा कि परिवार ने एम्बुलेंस के लिए कोई कॉल नहीं किया था। जांच टीम ने कहा कि परिवार बुजुर्ग व्यक्ति ज्ञान प्रसाद विश्वकर्मा को पहले एक निजी अस्पताल में ले गया था, न कि किसी सरकारी अस्पताल में।
एफआईआर में कहा गया है कि उनकी रिपोर्ट कई मामलों में “झूठी और निराधार” है। वहीं वीडियो में परिवार का कहना है कि उनकी पीड़ा वास्तविक थी और रिपोर्ट सही है। लेकिन बीमार व्यक्ति के बेटे हरिकृष्णा और बेटी पुष्पा ने कहा कि फोन कॉल के बावजूद एम्बुलेंस नहीं मिली और उसके बाद उन्हें ठेले को 5 किमी तक धकेलना पड़ा। घटना भिंड जिले के दबोह कस्बे के पास लहर की है। परिवार क्षेत्र के गांव मारपुरा का रहने वाला है।
बेटी ने प्रशासन के इस दावे का भी खंडन किया कि परिवार को विभिन्न सरकारी योजनाओं के तहत लाभ मिल रहा है। उन्होंने कहा, “हमें पीएम आवास योजना की सिर्फ एक किस्त मिली है। जिला प्रशासन की एक टीम ने मेरे भाई के घर की तस्वीरें लीं थीं।” वहीं बेटे हरिकृष्णा ने आरोप लगाया कि सरकारी अधिकारी हाल ही में हमारी झोपड़ी में आए और हमसे एक सादे कागज पर हस्ताक्षर करवा कर चले गए।”
प्रशासन ने परिवार के आरोपों पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी। दाबोह सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र के चिकित्सा अधिकारी डॉ राजीव कौरव की शिकायत पर पत्रकारों के खिलाफ मामला दर्ज किया गया है।
बता दें कि इसी वर्ष अप्रैल में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने एक समारोह में घोषणा की थी कि एंबुलेंस की संख्या 1,445 से बढ़कर 2,052 हो गई है। उन्नत जीवन रक्षक वाहनों की संख्या भी 75 से बढ़ाकर 167 कर दी गई। बेसिक लाइफ सपोर्ट एम्बुलेंस, जिनकी संख्या 531 थी, उसको बढ़ाकर 835 कर दिया गया है।