कूनो नेशनल पार्क में पिछले दिनों में चीतों की मृत्यु के मामले बढ़े हैं। मंगलवार (23 मई, 2023) को एक नवजात चीता की मृत्यु हो गई। 27 मार्च को उसका जन्म हुआ था। उसके साथ तीन और चीते भी पैदा हुए थे, लेकिन इसे उनमें सबसे कमजोर पाया गया और उसकी मृत्यु हो गई। इसके बाद से सवाल उठ रहा है कि मृत्यु कैसे हुई।
यह पिछले दो महीनों में मरने वाला चौथा चीता था। मरने वाले चीतों में वह भी शामिल हैं, जो नामीबिया से लाए गए थे। मध्य प्रदेश के चीफ वाइल्ड लाइफ वार्डन जे. एस. चौहान चीते की मृत्यु की पुष्टि की है। उनका कहना है कि उसकी मौत का करण डीहाइड्रेशन हो सकता है। चीतों को जंगल के माहौल में रखा गया है और इन दिनों तापमान 40 डिग्री सेल्सियस से भी ऊपर होता है। नामीबिया से लाई गई मादा चीता ज्वाला, ने चार चीतों को जन्म दिया था, यह चीता भी उन्हीं में एक था। जन्म के समय से ही यह चीता काफी कमजोर था।
वन विभाग के सूत्रों ने कहा कि चार चीतों की मां को सुबह बीमार चीता के साथ बैठे देखा गया था, लेकिन फिर अपने बाकी तीन बच्चों के साथ चली गई। निगरानी टीम जब बाड़े में दाखिल हुई तो चीता बहुत कमजोर था और कुछ समय बाद ही उसकी मौत हो गई। चौहान ने कहा कि चीतों की जंगलों में जीवित रहने की संभवना 10-20 प्रतिशत ही है।
इस साल की शुरुआत में आठ चीतों को नामीबिया से भारत लाया गया था और पिछले साल 17 सितंबर में उन्हें कूना नेशनल पार्क में छोड़ा दिया गया था। फरवरी में दक्षिण अफ्रीका से 12 और चीते लाए गए थे, जिनमें से छह जंगल में हैं और शेष कूनो के विभिन्न बाड़ों में हैं। 27 मार्च को पहली मादा चीता साशा की मौत की सूचना मिली थी। वह किडनी की बीमारी से पीड़ित थी। उसके आस पास ही सियाया के चार बच्चों का जन्म हुआ था। अप्रैल में एक नर चीते उदय की मौत हो गई थी, जो हृदय संबंधी समस्याओं से जूझ रहा था। उससे पहले मई में दक्षिण अफ्रीका की एक मादा चीता दक्षा की दो नर चीतों से लड़ाई के कारण मौत हो गई थी।