मध्य प्रदेश के बक्सवाहा जंगल में मिले हीरे के भंडार के उत्खनन की तैयारियों में पर्यावरण संकट के सवाल उठ खड़े हुए हैं। वहां कम से कम 3.42 करोड़ कैरट हीरे का भंडार मिला है। उसके उत्खनन के लिए कम से कम दो लाख पेड़ काटने होंगे। जाहिर है, पूरे जंगल के आस्तित्व को ही मिटाना होगा। हीरा खनन के लिए दो लाख पेड़ काटने की योजना को लेकर स्थानीय आदिवासी और सरकार के बीच संघर्ष शुरू हो चुका है।

बुंदेलखंड इलाके में स्थित बक्सवाहा के घने जंगलों को काटने की प्रक्रिया पर फिलहाल मध्य प्रदेश हाई कोर्ट ने रोक लगा दी है। आंदोलन के अलावा पुरातत्व विभाग की जांच रिपोर्ट हाई कोर्ट में पेश होने तक के लिए अदालत ने तत्काल प्रभाव से खनन पर रोक लगाने के निर्देश दिए हैं। पुरातत्व विभाग की रिपोर्ट में कहा गया है कि बक्सवाहा जंगल में पाषाणकालीन भित्ति प्रस्तर चित्र (राक पेंटिंग्स) हैं, जिन्हें खनन की वजह से नुकसान पहुंच सकता है।

मध्य प्रदेश हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश रविविजय मलिमथ और न्यायाधीश विजय कुमार शुक्ल की पीठ ने इस मामले में दायर दो याचिकाओं की सुनवाई करते हुए निर्देश जारी किए हैं। नागरिक उपभोक्ता मार्गदर्शक मंच की ओर से दायर याचिका में कहा गया है कि जंगल में हजारों साल पुराने भित्ति प्रस्तर चित्र की जानकारी देने के बाद भी पुरातत्व विभाग ने इसे संरक्षित क्षेत्र घोषित नहीं किया। पुरातत्व विभाग की रिपोर्ट में कहा गया है कि इस जंगल में कल्चुरि और चंदेल काल की कई मूर्तियां और स्तंभ हैं और खनन की वजह से उन्हें नुकसान पहुंचेगा।

इसी मामले में एक अन्य याचिका में जंगल कटने की वजह से पर्यावरण को होने वाले नुकसान को मुद्दा बनाया गया था। याचिका में कहा गया है कि हीरा खनन के लिए करीब सवा दो लाख पेड़ों को काटा जाना है। याचिका के मुताबिक, यह जंगल पन्ना बाघ संरक्षण क्षेत्र से लगा हुआ है और यह बाघ गलियारा क्षेत्र में आता है। इस जंगल के कटने से न केवल बुंदेलखंड जैसे सूखे से जूझ रहे क्षेत्र के पर्यावरण को गंभीर खतरा होगा बल्कि वन्य जीवों पर भी गंभीर संकट आ जाएगा।

बक्सवाहा का जंगल मध्य प्रदेश के छतरपुर जिले में है। बताया जा रहा है कि वहां देश का सबसे विशाल हीरा भंडार दबा हुआ है। करीब 3.42 करोड़ कैरट हीरे यहां दबे होने का अनुमान है और इसे निकालने के लिए करीब 383 हेक्टेअर जंगल को काटने की जरूरत होगी। वन विभाग ने जंगल के पेड़ों की अनुमानित संख्या करीब सवा दो लाख बताई है और खनन के दौरान इन सभी पेड़ों को काटना पड़ेगा। इन पेड़ों में सबसे ज्यादा पेड़ सागौन के हैं। इसके अलावा पीपल, तेंदू, जामुन, अर्जुन और कई औषधीय पेड़ भी यहां मौजूद है।

भारत में अभी तक का सबसे बड़ा हीरा भंडार छतरपुर के ही पास पन्ना जिले में है। बक्सवाहा में पन्ना से 15 गुना ज्यादा हीरे निकलने का अनुमान है।खनन और पर्यावरण मुद्दों पर सक्रिय सामाजिक कार्यकर्ता और पत्रकार आशीष सागर के मुताबिक, पेड़ काटने से पर्यावरण को भारी नुकसान होना तय है। वन्यजीवों पर भी संकट आ जाएगा। पहले एनजीटी और अब हाई कोर्ट ने इसकी गंभीरता को महसूस किया है।

किसे मिला काम

मध्य प्रदेश सरकार ने साल 2000 में आस्ट्रेलियाई कंपनी रियो टेंटो से सर्वे कराया था। तब कुछ जगहों पर किंबरलाइट पत्थर की चट्टानें मिली थीं। हीरा किंबरलाइट की चट्टानों में मिलता है। साल 2002 में रियो टिंटो को बक्सवाहा के जंगल में हीरे तलाशने का काम मिला। कंपनी ने स्थानीय लोगों और पर्यावरणविदों के विरोध चलते साल 2016 में इस परियोजना से खुद को अलग कर लिया। दो साल पहले यानी साल 2019 इसकी दोबारा नीलामी की गई और खदान का लाइसेंस आदित्य बिड़ला ग्रुप की एस्सेल माइनिंग कंपनी को मिला। राज्य सरकार यह जमीन इस कंपनी को 50 साल के लिए लीज पर दे रही है और जंगल में 62.64 हेक्टेयर क्षेत्र हीरे निकालने के लिए चिह्नित किया गया है।