मध्य प्रदेश में सोशल मीडिया पर बच्चा चोरी की अफवाहों की बाढ़ से इन दिनों एमपी पुलिस परेशान हैं। सूबे के पश्चिमी हिस्से के दो जिलों की पुलिस ने इन अफवाहों के कारण भीड़ हिंसा (मॉब लिंचिंग) के खतरे को भांपते हुए आम लोगों के लिए ऑनलाइन परामर्श जारी किए हैं। इंदौर के अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक (अपराध निरोधक शाखा) अमरेंद्र सिंह ने सोमवार को पीटीआई-भाषा को बताया कि पुलिस ने इस विषय में हाल ही में परामर्श जारी किया है। उन्होंने बताया, “सोशल मीडिया पर निगाह रखे जाने के दौरान पाया गया है कि बच्चा चोरी, मानव तस्करी आदि घटनाओं को लेकर अफवाहें फैलाई जा रही हैं। इन अफवाहों के कारण भीड़ इकट्ठी होने से कानून-व्यवस्था बिगड़ने का खतरा उत्पन्न हो जाता है।”
अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक ने कहा, “आम जनता से हमारी अपील है कि वह किसी आपराधिक वारदात के संदेही के पकड़े जाने पर तत्काल पुलिस को सूचना दे। अगर ऐसे किसी संदेही के साथ भीड़ द्वारा मारपीट की जाती है, तो इस समूह में शामिल लोगों के खिलाफ सख्त कानूनी कदम उठाये जायेंगे।” गौरतलब है कि इंदौर के निरंजनपुर इलाके में बुधवार देर शाम भीड़ ने अर्द्ध नग्न हालत में घूम रहे 30 वर्षीय व्यक्ति को बच्चा चोर समझते हुए उसे जमकर पीटा था। बाद में पुलिस की जांच में पता चला था कि वह शख्स मानसिक रूप से कमजोर है और बच्चा चोरी से उसका कोई लेना-देना नहीं है।
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इस बीच, नजदीकी खरगोन जिले के सोशल मीडिया समूहों पर बच्चा चोरी की अफवाहों का फैलाव रोकने के लिये वहां की पुलिस ने भी ऑनलाइन परामर्श जारी किया है। खरगोन के पुलिस अधीक्षक सुनील पांडेय ने परामर्श में कहा, “गत दिनों सोशल मीडिया पर एक संदेश वायरल हुआ है कि जिले में ऐसे गिरोह का प्रवेश हुआ है, जो बच्चों को अगवा कर रहा है। यह संदेश कोरी अफवाह है।” पांडेय ने कहा, “मैं जिले के सभी नागरिकों से अपील करता हूं कि वे ऐसी अफवाहों पर ध्यान न दें। अगर कोई व्यक्ति ऐसी अफवाह सोशल मीडिया पर फैलाता है, तो इसकी जानकारी फौरन पुलिस को दी जाये ताकि उस व्यक्ति पर कठोर कानूनी कार्रवाई की जा सके।”