मध्यप्रदेश में नवगठित कांग्रेस सरकार के मुख्यमंत्री कमलनाथ के निर्देश पर 68वें ‘अध्यात्म विभाग’ का गठन करने की घोषणा हुई है। इस विभाग में पूर्ववर्ती भाजपा सरकार द्वारा बनाए गए ‘आनंद विभाग’ को भी समाहित किया जाएगा। इस नए विभाग में ‘आनंद विभाग’ में होने वाले तमाम कामों के साथ धर्म से जुड़े कामों, तीर्थ दर्शन यात्रा व धार्मिक स्थलों की देखरेख आदि कार्य किये जायेंगे। बता दें कि कांग्रेस ने अपने घोषणा पत्र में प्रदेश में सरकार बनने पर अध्यात्म विभाग बनाने का वादा किया था। साथ ही कांग्रेस ने अपने वचन पत्र में प्रदेश में चित्रकूट क्षेत्र में राम गमन पथ बनाने और गोमूत्र, गोबर के कंडों के व्यावसायिक उत्पादन का भी वादा किया था।

दरअसल, मुख्यमंत्री बनने के बाद कमलनाथ ने अध्यात्म विभाग के गठन का निर्णय लिया था। जिसको लेकर सामान्य प्रशासन विभाग ने अध्यात्म विभाग के गठन की अधिसूचना राजपत्र में प्रकाशन के लिए भेज दी। यह नया विभाग ताप्ती, मंदाकिनी, नर्मदा न्यास और क्षिप्रा नदी के न्यास का गठन, पवित्र नदियों को जीवित इकाई बनाने के संबंध में कार्यवाही, राम वनगमन पथ में पड़ने वाले अंचलों का विकास, मध्यभारत गंगाजली निधि न्यास, समेत धर्म और आनंद विभाग के अधीन वाले विभागों के लिए काम करेगा।

पूर्ववर्ती बीजेपी सरकार के दौरान पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के निर्देश पर देश में पहली बार किसी प्रदेश में आनंद विभाग का गठन किया गया था। उसके बाद अब मुख्यमंत्री कमलनाथ के निर्देश पर इस नये गठित किए जा रहे अध्यात्म विभाग में ही आनंद विभाग को भी शामिल करने की घोषणा की गई है।

गौरतलब ही कि मध्यप्रदेश में धार्मिक मामलों से जुड़े धार्मिक न्यास एवं धर्मस्व विभाग, आनंद विभाग, निदेशालय धार्मिक ट्रस्ट, मध्यप्रदेश तीर्थ मेला प्राधिकरण और राज्य आनंद संस्थान संचालित हैं। लेकिन अब कमलनाथ सरकार इन सबको समाहित कर एक नया विभाग बना रही है। जिसका नाम अध्यात्म विभाग है। यह विभाग धर्मस्थानों से जुड़े ऐतिहासिक स्थानों का रखरखाव, धार्मिक स्थलों पर लगने वाले मेलों और आयोजनों पर भीड़ प्रबंधन, प्रदेश और बाहर के चिह्नित तीर्थस्थलों की यात्रा का प्रबंधन, धार्मिक संस्थाओं की भूमि का प्रबंधन, पुजारी, महंत और कथावाचकों की नियुक्ति और उनको हटाना, नगर, शहर और स्थानों को पवित्र घोषित करना आदि काम भी करेगा।