मध्यप्रदेश में सामान्य वर्ग के गरीबों को सरकारी नौकरी एवं शिक्षा में दस फीसदी आरक्षण का प्रावधान लागू हो गया है। मध्यप्रदेश सामान्य प्रशासन विभाग के अपर मुख्य सचिव प्रेमचंद मीना द्वारा जारी आदेश में कहा गया है कि आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के लिए दस प्रतिशत आरक्षण का लाभ उन लोगों को मिल सकेगा, जिनकी सभी स्रोतो से आय आठ लाख रूपए सालाना से ज्यादा न हो, जिनके पास पांच एकड़ से ज्यादा कृषि भूमि ना हो, नगर निगम क्षेत्र में 1200 वर्ग फीट मकान/फ्लैट से ज्यादा आकार का आवास न हो, नगर पालिका क्षेत्र में 1500 वर्ग फीट मकान/फ्लैट और नगर परिषद क्षेत्र में 1800 वर्ग फीट मकान/फ्लैट से ज्यादा आकार का आवास न हो। इसके लिए प्रदेश सरकार ने मंगलवार ( 2 जुलाई) को आदेश जारी कर दिए हैं।
दस प्रतिशत आरक्षण देने का प्रावधान कई राज्यों ने किया लागूः गौरतलब है कि संसद में हाल ही में पारित 124 वें संविधान संशोधन विधेयक के जरिये सामान्य वर्ग के गरीबों के लिए नौकरी और शिक्षा में दस प्रतिशत स्थान आरक्षित करने का प्रावधान किया गया है, जिसे कई राज्यों ने लागू कर दिया है।
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इससे पहले सरकारी नौकरियों और शैक्षणिक संस्थानों में मराठा समुदाय को 16 प्रतिशत आरक्षण देने के महाराष्ट्र सरकार के फैसले को अदालत में चुनौती दी गई थी। हालांकि बॉम्बे हाईकोर्ट ने कहा कि राज्य पिछड़ा वर्ग आयोग की सिफारिश के अनुरूप आरक्षण का प्रतिशत 16 से घटाकर 12 से 13 प्रतिशत किया जाना चाहिए। बता दें कि महाराष्ट्र विधानसभा ने 30 नवंबर 2018 को एक विधेयक पारित किया था जिसमें मराठाओं को शिक्षा और सरकारी नौकरियों में 16 प्रतिशत आरक्षण देने की व्यवस्था की गई थी।