मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने एक मामले में चुनाव आयोग और आयकर विभाग द्वारा गठित निगरानी दलों को अवैध बताया है। अदालत ने निर्वाचन आयोग और आयकर विभाग द्वारा गठित निगरानी दलों की कार्रवाई को पूरी तरह से अवैध मानते हुए उन पर 50,000 रुपये का जुर्माना लगाया क्योंकि इससे जौहरियों को नुकसान हुआ। इन दलों ने 2023 के राज्य विधानसभा चुनावों से पहले 6 करोड़ रुपये मूल्य के आभूषण जब्त किए थे।
जस्टिस विवेक रूसिया और जस्टिस विनोद कुमार द्विवेदी की खंडपीठ ने सोमवार को निर्देश दिया कि उस समय अभियान के दौरान जब्त किए गए आभूषणों को वापस कर दिया जाए। पीठ ने कहा कि निर्वाचन आयोग की स्थैतिक निगरानी टीम (SST), जिला निर्वाचन अधिकारी और आयकर महानिदेशक ने भारत निर्वाचन आयोग द्वारा जारी मानक संचालन प्रक्रिया SoP)/परिपत्रों के अनुसार कार्यवाही नहीं की और इससे आभूषण मालिकों के साथ-साथ माल भेजने वालों को भी नुकसान हुआ।
इस मामले में लगा जांच दलों पर जुर्माना
अदालत ने सभी रिट याचिकाकर्ताओं के पक्ष में प्रतिवादियों द्वारा देय 50,000 रुपये का जुर्माना सुनाया। 23 अक्टूबर, 2023 को सीक्वल लॉजिस्टिक्स प्राइवेट लिमिटेड द्वारा संचालित एक बोलेरो वाहन को रतलाम जिले में एसएसटी द्वारा रोका गया। एसएसटी ने कथित तौर पर 6 करोड़ रुपये से अधिक मूल्य के आभूषणों की 37 खेपें जब्त कीं।
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यह घटना मध्य प्रदेश में विधानसभा चुनावों से पहले आदर्श आचार संहिता लागू होने के दौरान हुई। इसके बाद, आयकर विभाग ने सीक्वल लॉजिस्टिक्स के कस्टोडियन अधिकारी अमित शर्मा को नोटिस जारी किया, जो कथित तौर पर ड्राइवर के साथ वाहन में मौजूद थे और उन पर खेप का मालिक होने का आरोप लगाया गया था। शर्मा, जिन्होंने दो अन्य पक्षों के साथ रिट याचिका दायर की थी, ने आरोपों से इनकार किया है।
याचिकाकर्ताओं ने ज़ब्ती को चुनौती देते हुए उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया। उन्होंने तर्क दिया कि ज़ब्ती और अधिग्रहण क़ानूनी तौर पर ग़लत हैं क्योंकि ये क़ानूनी अधिकार के बिना किए गए और क़ानून द्वारा प्रदत्त वैधानिक सुरक्षा उपायों के विपरीत हैं।
मध्य प्रदेश हाईकोर्ट का फैसला
अदालत ने पाया कि एसएसटी और ज़िला शिकायत समिति ने इस महत्वपूर्ण तथ्य पर विचार नहीं किया कि वाहन में कोई बेहिसाब नकदी, चुनावी पोस्टर, चुनाव सामग्री, ड्रग्स, हथियार नहीं थे। अदालत ने यह भी कहा कि एसएसटी और आयकर विभाग के दस्तावेज़ों में खेपों की संख्या और आभूषणों के मूल्य में विरोधाभास है।
अदालत ने कहा कि इसलिए एसएसटी और जिला शिकायत समिति की कार्रवाई पूरी तरह से अवैध है जिसमें उन्होंने सात दिनों तक मूल्यवान माल को अपने पास रखा और उसके बाद आयकर विभाग को सौंप दिया। अदालत ने कहा कि एसएसटी या जिला शिकायत समिति को केवल आयकर विभाग को इन वस्तुओं के जारी होने की सूचना देनी थी। अदालत ने फैसला सुनाया कि इसलिए, इन वस्तुओं को आयकर विभाग को सौंपना अपने आप में अवैध है। पढ़ें- सांसद पिता की आत्महत्या मामले में पुत्र पहुँचा सुप्रीम कोर्ट, सर्वोच्च अदालत ने नहीं बहाल की FIR