CM Mohan Yadav News: मध्य प्रदेश की राजनीति में सीएम मोहन यादव अब अपनी अलग पहचान बनाने की कोशिश में लगे हैं। उन्हें पूर्व सीएम और केंद्रीय मंत्री शिवराज सिंह चौहान की छाया बनकर नहीं रहना है, उन्हें उनके पदचिन्हों पर नहीं चलना है। पिछले डेढ़ साल में अब ऐसे कई फैसले लिए जा चुके हैं जिनके बाद कहा जा सकता है कि सीएम मोहन यादव बीजेपी के अंदर भी खुद को शिवराज सिंह चौहान की लैगेसी से दूर रखना चाहते हैं। अब तो इसके कई सबूत मिल गए हैं।
सबूत नंबर 1- सीएम राइज स्कूल का नाम बदला
मुख्यमंत्री मोहन यादव ने शिवराज सिंह चौहान के कार्यकाल में शुरू हुए सीएम राइज स्कूल का नाम बदल दिया है। अब से इन स्कूलों को महर्षि सांदीपनि विद्यालय के नाम से जाना जाएगा। इन स्कूलों को 2023 में सीएम शिवराज ने ही शुरू किया था। इन स्कूल में स्मार्ट क्लासरूम हैं, अच्छा इंफ्रास्ट्रक्चर है और बच्चों को क्वालिटी एजुकेशन दी जाती है। वर्तमान में ऐसे 360 स्कूल मध्य प्रदेश में खुल चुके हैं। अब नाम बदलने को लेकर सीएम यादव का तर्क है कि पिछला नाम अंग्रेजों के इंस्टीट्यूशन की याद दिलाता है, हमने भगवान कृष्ण के गुरू के नाम पर स्कूलों का नाम किया है।
सबूत नंबर 2- Bus Rapid Transit System को किया खत्म
सीएम बनते ही मोहन यादव ने 2009 में शुरू हुई Bus Rapid Transit System को खत्म कर दिया था। इसके तहत भोपाल में पब्लिक ट्रांसपोर्ट को मजबूत करने की कोशिश हुई थी, इस योजना पर 360 करोड़ रुपये खर्च हुए थे। लेकिन सीएम मोहन यादव ने शिवराज की इस योजना को ही बंद कर दिया।
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सबूत नंबर 3- राज्य गीत पर खड़े नहीं होने की नसीहत
मध्य प्रदेश का अपना एक राज्य गीत है, शिवराज सिंह चौहार सभी को कहा करते थे कि जब भी यह गीत बजे, लोगों को सम्मान में खड़ा होना चाहिए। लेकिन मोहन यादव ने पिछले साल ही अधिकारियों को कहा कि इस पर खड़े होने की जरूरत नहीं है। उनका तर्क था कि राज्य गीत को राष्ट्रीय गान के समान नहीं माना जा सकता है।
सबूत नंबर 4- चौहान के करीबी अधिकारियों की छुट्टी
शिवराज सिंह चौहान काफी लंबे समय तक राज्य के मुख्यमंत्री रहे, उनके पसंद के कुछ अधिकारी भी थे। वे हमेशा उन्हें अपनी टीम में बनाए रखते थे। लेकिन मोहन यादव ने सीएम बनते ही उन अधिकारियों को दरकिनार कर दिया। उनकी तरफ से अपनी खुद की नई टीम बनाई गई। सीएम मोहन यादव से जुड़ी ऐसी तमाम और खबरों के लिए जनसत्ता के इस पेज का रुख करें
