लखनऊ की गोमती नदी की तर्ज पर पश्चिमी उत्तर प्रदेश के 6 जिलों से गुजरने वाली हिंडन को पुनर्जीवित करने के लिए सोमवार को कार्यशाला आयोजित की जा रही है। हिंडन यात्रा के नाम से अयोजित होने वाले सेमिनार में करीब 355 किलोमीटर लंबी नदी में पानी की क्षमता, गुणवत्ता बढ़ाने की रणनीति बनाई जाएगी।
बताते चलें कि नदी लगभग मृत हो चुकी है और नाले का रूप में तब्दील हो चुकी है। उसे पुनर्जीवन देने और पानी क्षमता बढ़ाने के लिए बांध बनाने का प्रस्तुतिकरण किया जाएगा। इसके अलावा प्रत्येक जिले में नदी के अपस्ट्रीम (आगमन) और डाउनस्ट्रीम (निकासी) पर आॅटोमैटिक जल गुणवत्ता जांच केंद्र स्थापित करने की भी योजना है। मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के अलावा प्रदेश के सिंचाई मंत्री, जल पुरुष के रूप में प्रख्यात अरविंद सिंह समेत सिंचाई, प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड, औद्योगिक संगठन और जल संरक्षण विशेषज्ञ संस्थाओं के पदाधिकारी भाग लेंगे।
उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अनुसार गंगा-यमुना नदी की नहरों से हिंडन तक पानी पहुंचाने के लिए दीर्घकालिक योजनाएं डैम बनाकर पूरी की जाएगी। नदी में प्रदूषक तत्वों को रोकने के लिए कई स्तरों पर जांच केंद्र स्थापित किए जाएंगे। ताकि फैक्ट्रियों से निकला प्रदूषित जल सीधे नदी में न जाए। पश्चिमी उत्तर प्रदेश के सहारनपुर से हिंडन नदी का उद्गम होता है। जो मुजफ्फरनगर, मेरठ, बागपत, गाजियाबाद होते हुए गौतम बुद्ध नगर पहुंचती है। 355 किलोमीटर लंबी नदी का करीब 30 किलोमीटर हिस्सा गौतम बुद्ध नगर में पड़ता है। एनएच-24 के छिजारसी इलाके से नदी नोएडा में प्रवेश करती है। जो दनकौर इलाके में दिलवारा गांव के पास यमुना नदी में मिल जाती है।
नोएडा के मामूरा में रहने वाले बुजुर्ग भूलेराम बताते हैं कि 12-15 साल पहले तक पानी इतना साफ था कि एनएच-24 के ऊपर बने पुल से नीचे देखने पर हिंडन के पानी में मच्छलियां ऊपर से तैरती नजर आतीं थीं। अवैध कॉलोनियों के बसने, नदी के पानी को पंप लगाकर रोड़ी बजरी की सफाई, फैक्ट्रियों व सीवर का दूषित पानी आने से नदी पूरी तरह से एक नाले में तब्दील हो गई है।
(आशीष दुबे)