लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन ने सदन में कांग्रेस के उपनेता अमरिंदर सिंह का इस्तीफा गुरुवार को स्वीकार कर लिया। अध्यक्ष ने कहा कि मैंने 23 नवंबर के प्रभाव से उनका इस्तीफा स्वीकार कर लिया है। सिंह ने बुधवार को लोकसभा अध्यक्ष से मुलाकात की थी और सदन की सदस्यता से अपना इस्तीफा उन्हें सौंपा था। अमरिंदर सिंह ने सतलुज-यमुना लिंक (एसवाइएल) नहर जल बंटवारा समझौते पर सुप्रीम कोर्ट के 10 नवंबर के फैसले के बाद पंजाब की जनता के साथ अन्याय होने का आरोप लगाते हुए इसके खिलाफ संसद की सदस्यता से इस्तीफे की घोषणा की थी।
पंजाब में एसवाइएल समझौता बड़ा मुद्दा बन गया है जहां अगले साल विधानसभा चुनाव हैं। पूर्व मुख्यमंत्री सिंह राज्य में अकाली दल-भाजपा गठबंधन से सत्ता हासिल करने के लिए कांग्रेस की अगुआई कर रहे हैं। सिंह ने 2014 के लोकसभा चुनाव में अमृतसर सीट से भाजपा के अरुण जेटली को हराया था। सिंह ने कहा कि इस मुद्दे पर उन्होने अपनी पार्टी के विधायकों से इस्तीफा दिलवाया था, इसलिए नैतिकता के नाते उन्होंने भी इस्तीफा दिया है।
बता दें कि इससे पहले उच्चतम न्यायालय ने पडोसी राज्यों के साथ सतलज यमुना संपर्क नहर समझौता निरस्त करने के लिए 2004 में बनाया गया कानून असंवैधानिक करार दे दिया था। न्यायमूर्ति ए के दवे की अध्यक्षता वाली पांच सदस्यीय संविधान पीठ ने इस मुद्दे पर राष्ट्रपति द्वारा भेजे गये सवालों पर अपनी राय देते हुए कहा था, कि सभी सवालों के जवाब नकारात्मक में हैं।’ संविधान पीठ के अन्य सदस्यों में न्यायमूर्ति पी सी घोष, न्यायमूर्ति शिव कीर्ति सिंह, न्यायमूर्ति आदर्श कुमार गोयल और न्यायमूर्ति अमिताव राय शामिल हैं। संविधान पीठ ने सर्वसम्मति से कहा कि राष्ट्रपति द्वारा भेजे गये सभी पांच सवालों के जवाब नकारात्मक में हैं। इस फैसले ने यह स्पष्ट कर दिया कि पंजाब समझौता निरस्तीकरण कानून 2004 असंवैधानिक है और पंजाब सतलज-यमुना संपर्क नहर के जल बंटवारे के बारे में हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, राजस्थान, जम्मू कश्मीर, दिल्ली और चंडीगढ के साथ हुये समझौते को एकतरफा रद्द करने का फैसला नहीं कर सकता है। सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले का पंजाब कांग्रेस ने विरोध जताया है। पंजाब के सभी कांग्रेस विधायकों ने कैप्टन अमरिंदर सिंह को अपने इस्तीफे भेज दिए हैं। इसके साथ ही फैसले के विरोध में अमरिंदर सिंह ने भी लोकसभा से इस्तीफा दे दिया था।