Lok Sabha Election 2019 में कुल डाले गए मतों और ईवीएम में दर्ज हुए मतों की संख्या में अंतर के आरोप पर चुनाव आयोग ने जवाब दिया है। आयोग ने कहा कि मतदान करने वाले सभी इंसान थे, भूत नहीं। 23 मई को नतीजे सामने आने के बाद यह मामला उठा था कि कई निर्वाचन क्षेत्रों में मतदान के दिन वाले आंकड़े नतीजों के दिन वाले आंकड़ों से मेल नहीं खा रहे। इन अतिरिक्त मतों को ‘भूतिया वोट’ (घोस्ट वोट) कहा जाता है।

चुनाव में ‘फर्जी मतदाताओं’ के बारे में आई खबरों को गलत करार देते हुए कहा शनिवार (1 जून) को आयोग ने कहा, ‘मतदान प्रतिशत के अस्थायी आंकड़ों पर आधारित हैं। चुनाव आयोग द्वारा जारी एक बयान में कहा गया है, आयोग की वेबसाइट पर अपलोड किया गया अस्थायी मतदान प्रतिशत सिर्फ अस्थायी संख्या है, अंतिम संख्या नहीं है। इसलिए, फर्जी मतदाताओं का मिलना गलत दावा है क्योंकि ऐसा कुछ है ही नहीं।’

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चुनाव आयोग ने कहा कि अंतिम नतीजे पर पहुंचने के लिए दो श्रेणियों के वोटों की गिनती की गई। इनमें इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीनों (ईवीएम) में डाले गए मत और सैनिकों या चुनावी ड्यूटी पर तैनात कर्मियों के डाक मतों से प्राप्त हुए थे। आयोग ने कहा कि अस्थायी मतदान आंकड़ा चुनाव आयोग की वेबसाइट और मतदाता हेल्पलाइन मोबाइल ऐप पर प्रतिशत के रूप में प्रदर्शित किया गया, जिन्हें सेक्टर मजिस्ट्रेटों से हासिल संभावित मतदान प्रतिशत के आधार पर चुनाव के दिन रिटर्निंग ऑफिसर ने अपलोड किया था। इसे वे लोग अपने-अपने क्षेत्र में करीब 10 पीठासीन अधिकारियों से फोन पर या व्यक्तिगत रूप से समय-समय पर प्राप्त करते हैं।

(एजेंसी इनपुट के साथ)