बीजेपी ने रामपुर और आजमगढ़ सीट पर लोकसभा उपचुनाव के लिए प्रत्याशी के नाम का ऐलान कर दिया है। रामपुर सीट से घनश्याम लोधी को अपना उम्मीदवार बनाया है जबकि आजमगढ़ लोकसभा सीट पर पार्टी ने भोजपुरी स्टार और पूर्व प्रत्याशी दिनेश लाल यादव निरहुआ को अपना उम्मीदवार बनाया है। बसपा ने आजमगढ़ लोकसभा सीट के लिए शाह आलम उर्फ गुड्डू जमाली को अपना प्रत्याशी घोषित किया है। रामपुर सीट पर वो कोई उम्मीदवार नहीं उतारने जा रही।

दरअसल, बीजेपी ने दोनों ही सीटों पर ओबीसी कैंडिडेट पर दांव लगाया है। सपा चीफ अखिलेश और आजमखान के बीच की खटपट जग जाहिर है। बीजेपी ने इसे देखकर ही ओबीसी पर भरोसा जताया है। उसे उम्मीद है कि सपा के बिगड़े सियासी समीकरणों का तानाबाना उसे फायदा पहुंचाएगा। निरहुआ भोजपुरी फिल्मों के बड़े स्टार हैं और यादव भी। 2019 में वो अखिलेश से हार गए थे। लेकिन उसके बाद भी बीजेपी ने उन पर भरोसा जताया। बीजेपी के एक नेता कहते हैं कि उन्हें भरोसा है कि वो सीट निकाल लेंगे। तभी योगी ने उन्हें फिर से टिकट देकर मैदान में उतारा है। 2019 में हार के बाद भी वो आजमगढ़ के इलाके में सक्रिय रहकर लोगों से मिलते रहे।

आजमगढ़ जिला जिसे समाजवादी पार्टी का गढ़ माना जाता रहा है। सपा MY (मुस्‍लिम-यादव) समीकरण पर भरोसा कर रही है। आंकड़ों के ह‍िसाब से पूर्व सीएम अख‍िलेश यादव का ये समीकरण आजमगढ़ में कुछ ज्‍यादा ही फ‍िट होता रहा है। लेकिन इस बार की पर‍िस्‍थ‍ित‍ियां बदली-बदली लग रही हैं। यहां लड़ाई में इस बार नए फैक्‍टर MD (मुस्‍लिम-दलित) की इंट्री हुई है जो अख‍िलेश के सामने नई चुनौती साब‍ित हो सकती है। आजमगढ़ में मुस्लिम मतदाताओं की संख्‍या लगभग 24 फीसदी है। इसके अलावा 26 फीसदी यादव और 20 प्रतिशत दलित वोटर हैं। 2017 के विधानसभा चुनाव में जब भारतीय जनता पार्टी की लहर थी तब यहां उसको सिर्फ एक सीट मिली थी। पांच सीटों पर सपा ने कब्‍जा जमाया था।

उधर, रामपुर लोकसभा उपचुनाव में सपा से एमएलसी रहे घनश्याम सिंह लोधी को भाजपा ने टिकट दे दिया है। वो दो बार एमएलसी रहे हैं। एक बार बसपा के टिकट पर लोकसभा का चुनाव लड़ चुके हैं। वो हाल में विधानसभा चुनाव से पूर्व ही सपा छोड़कर भाजपा में शामिल हुए थे। इससे पहले वो भाजपा में रह चुके हैं। लेकिन बाद में सपा और बसपा में भी गए। यहां बीजेपी को आजम खान की नाराजगी पर ज्यादा भरोसा है। उसे लगता है कि बसपा से कैंडिडेट का न होना और आजम खान की नाराजगी उसके लिए मुफीद हो सकती है। आजम की वजह से मुस्लिम वोटरों में बिखराव होगा तो लोधी ओबीसी वोट बैंक को रिझाकर आराम से बीजेपी की झोली में सीट डाल सकते हैं।